Atmadharma magazine - Ank 265
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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(६)
तत्त्वरसिक जिज्ञासुओने प्रिय दश प्रश्न दश उत्तरनो
आ विभाग पू. गुरुदेव पासे थयेल तत्त्वचर्चाओमांथी
तेम ज शास्त्रोमांथी तैयार करवामां आवे छे. ब्र. ह. जैन
(६१) प्रश्न –दीपावलीपर्व शा माटे उजवाय छे?
उत्तर: –आसो वद अमासनी अंधारी राते महावीर भगवान पावापुरीथी
ज्यारे मोक्ष पधार्या त्यारे हजारे दीपकोनी हारमाळाना झगझगता
प्रकाशमां देव– मनुष्योए जे मोक्षकल्याणक–महोत्सव ऊजव्यो तेना
स्मरणरूपे दीपावलीपर्व आजे पण भारतमां प्रसिद्ध छे. आ रीते
दीपावलीपर्व ए महावीर भगवाननी मोक्षदशा साथे संबंध धरावे छे,
तेथी ते दिवसे तेनुं स्मरण करीने विशेष भावना भाववी जोईए. मोक्ष ते
महा आनंदरूप छे, ने तेनुं पर्व पण आनंदरूप छे.
(६२) प्रश्न –कोई जीव सम्यग्दर्शन पाम्यो छे तेने ओळखवानुं चिह्न शुं?–के जेथी
बीजो माणस सम्यग्द्रष्टि अने मिथ्याद्रष्टि वच्चेनो फरक समजी शके.
उत्तर: –एकला बहारनी क्रियाना चिह्नथी सम्यग्द्रष्टिने ओळखी शकाय
नहीं. जेने पोताने सम्यक्त्वनुं स्वरूप लक्षगत थयुं होय ते ज सम्यग्द्रष्टिने
खरेखर ओळखी शके. सम्यग्दर्शन पोते अतीन्द्रिय वस्तु छे, एकला
ईन्द्रियगम्य चिह्नोद्वारा तेने ओळखी न शकाय. सम्यग्द्रष्टिनी खरी
ओळखाण त्यारे थाय के ज्यारे पोतामां ते जातनो भाव प्रगट करे.
सम्यग्द्रष्टिनी ओळखाणनो भाव पण अपूर्व छे; ए भाव,