Atmadharma magazine - Ank 266-267
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ८ : आत्मधर्म : मागशर : २४९२
सिद्ध भगवानथी जरापण तारी जुदाई गण तो तुं मिथ्याद्रष्टि छो. एक आंखना
टमकार मात्र पण जे जीव सिद्धस्वरूपथी जुदो रहे छे ते मिथ्याद्रष्टि छे, –स्वभावनी तेने
प्रतीत नथी. जेवा सिद्ध ज्ञाताद्रष्टा तेवो ज आ आत्मा ज्ञाताद्रष्टा,–एवा पोताना
स्वभावने द्रष्टिमां लेवो ते सम्यग्दर्शन छे. सर्वज्ञनुं ज्ञान आखा जगतनुं ज्ञाता छे पण
कोईनुं कर्ता नथी; एवो ज ज्ञानस्वभाव दरेक आत्मामां छे. सर्वज्ञ सिद्ध परमात्मा
प्रगटपणे मुक्त छे, तेम मारो स्वभाव शक्तिरूपे एवो ज मुक्त छे,–एम प्रतीतमां लेतां
धर्मीने पर्यायमां पण तेनुं परिणमन प्रगट थवा लाग्युं; ते पण सर्वज्ञनी जेम ज्ञाता–
द्रष्टापणे परिणमवा लाग्यो. जेम सर्वज्ञने रागादिमां क््यांय कर्तृत्व नथी तेम साधकने य
ज्ञानपरिणमनमां रागनुं कर्तृत्व नथी. बंनेनी एक ज जात थई छे. सत्ता भिन्न पण
जाति एक. अहा, अंतरमां सिद्धप्रभु जेने भेट्या, पोताना ज आत्माने सिद्धस्वरूपे जेणे
देख्यो तेने पर्यायमां सिद्ध जेवो भाव न प्रगटे–एम बने नहि. सम्यग्दर्शन थयुं त्यां
आत्मा सिद्धनी पंक्तिमां बेसी गयो. सम्यग्दर्शननी अलौकिकस्थितिनी जगतने खबर
नथी.
जेम सर्वज्ञना ज्ञानमां निमित्तपणे लोकालोक छे, पण सर्वज्ञ तेमां क््यांय कर्ता
नथी, तेम साधकना अल्प ज्ञानमां अल्प ज्ञेयो निमित्त छे पण सर्वज्ञनी जेम ते साधक
पण परज्ञेयमां क््यांय कर्ता नथी. सर्वज्ञने पूरुं ज्ञान ने साधकने अल्पज्ञान, एटलो ज
फेर, पण केवळी जेवा ज पोताना शुद्धात्माने अल्पज्ञान वडे पण साधक अनुभवे छे. ते
अनुभवमां पूरा ने अधूरानो भेद नडतो नथी. प्रवचनसार गा. ३३ मां आचार्यदेव कहे
छे के–
जेम भगवान केवळज्ञान वडे केवळ–शुद्ध आत्माने आत्माथी आत्मामां
अनुभववाने लीधे केवळी छे, तेम अमे पण श्रुतज्ञान वडे केवळ आत्माने आत्मामां
अनुभववाने लीधे श्रुतकेवळी छीए. विशेष आकांक्षाना क्षोभथी बस थाओ;
स्वरूपनिश्चळ ज रहीए छीए. जुओ, आ साधकनो पावर! ज्ञाननी केटली ताकात?
ज्ञान भले थोडुं हो पण ते क््यांय रागमां अटकतुं नथी; क््यांय अटक्या वगर स्वरूपमां
निश्चल रहे छे, तेनामां केवळज्ञान लेवानी ताकात छे. माटे हे जीव! ओछुं–वधारे
जाणवानी आकुळता छोडीने ज्ञानने स्वानुभवमां जोड! बधी चिन्ता छोडी, पूर्ण
ज्ञानानंदी निजस्वरूपमां उपयोगने जोड, तो तने परम आनंद तारामां अनुभवाशे ने
संसारसंबंधी समस्त कलेश छूटी जशे.