Atmadharma magazine - Ank 266-267
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 18 of 73

background image
: मागशर : २४९२ आत्मधर्म : १५ :
[७८] प्रश्न:– ईन्द्रियज्ञान कोना आश्रये छे?
उत्तर:– ईन्द्रियज्ञान ते आत्माना परिणाम छे, अने परिणाम हंमेशा
परिणामीना आश्रये होय छे–ए सिद्धांतअनुसार ईन्द्रियज्ञानना
परिणाम आत्माना आश्रये छे.
–पण ते ईन्द्रियज्ञाननुं लक्ष आत्मा उपर नथी, जो आत्मा उपर
लक्ष जाय तो ईन्द्रियज्ञान रहे नहि, ज्ञान अतीन्द्रिय थई जाय.
आत्माना स्वभावमां जेनो उपयोग होय ते ज्ञान अतीन्द्रिय ज होय;
ईन्द्रियज्ञान वडे आत्मस्वभाव लक्षमां आवे नहि.
[७९] प्रश्न:– ईन्द्रियज्ञानना परिणाम आत्माना आश्रये छे एम आपे कह्युं, परंतु
आत्माश्रित–परिणामने तो मोक्षमार्ग कह्यो छे, ने ईन्द्रियज्ञान तो कांई
मोक्षमार्ग नथी!
उत्तर:– आत्माश्रित–परिणामने ज्यां मोक्षमार्ग कह्यो छे त्यां ‘आत्माश्रित’–
परिणाम एटले आत्मस्वभाव तरफ वळेला परिणाम–एम समजवुं.
ईन्द्रियज्ञान ते आत्मस्वभाव तरफ वळेलुं नथी माटे ते मोक्षमार्ग
नथी. अने ईन्द्रियज्ञानने अहीं आत्माश्रित परिणाम कह्या तेमां
‘आत्माश्रित’ नो अर्थ आत्मानी सत्ताना आधारे थयेला परिणाम–
एम समजवो. जगतना जे कोई पदार्थमां जे परिणाम थाय छे ते
परिणाम ते पदार्थनी सत्तामां ज थाय छे, पदार्थनी सत्ताथी बहार
तेनां परिणाम कदी होतां नथी. माटे शुद्ध के अशुद्ध, जड के चेतन जे
कोई परिणाम छे ते सौ पोतपोतानी वस्तुना आधारे छे; आ न्याये
ईन्द्रियज्ञानना परिणाम पण आत्माना आश्रये ज छे; ईन्द्रियज्ञानना
परिणाम पण कांई जड ईन्द्रियना आश्रये नथी थया.–छतां आमां
मोक्षमार्ग आवी जाय छे. –कई रीते?
जेणे आम नक्क्ी कर्युं के मारा बधा परिणाम मारा आत्माना
आश्रये ज थाय छे,–तेनी नजर क््यां गई? तेनी नजर परिणामी
एवा द्रव्य उपर गई, एटले द्रव्यना लक्षे तेने निर्मळ परिणाम
प्रगट्या. आ रीते तेमां मोक्षमार्ग आवी जाय छे. ईन्द्रियज्ञान
आत्माना आश्रये छे– एम नक्की