परिणाम होय, टकती वस्तुना आश्रये परिणाम थाय, परना आश्रये न थाय.
ईच्छा अने ज्ञान,
तेमां पण ईच्छा अने ज्ञान ए बंने परिणाम आत्माना आश्रये होवा
परिणाम छे, ईच्छाना नहि. तेम ज ईच्छा ते आत्माना परिणाम छे, पण
ज्ञानना नहि. ईच्छाने जाणनारुं ज्ञान ते ईच्छानुं कार्य नथी, तेमज ते ज्ञान
ईच्छाने करतुं नथी. ईच्छा–परिणाम ते आत्मानुं कार्य खरुं, पण ज्ञाननुं
नहि; भिन्नभिन्न गुणना परिणाम भिन्नभिन्न छे, एक ज द्रव्यमां होवा छतां
एक गुणना आश्रये बीजा गुणना परिणाम नथी.
आत्मामां चारित्रगुण, ज्ञानगुण वगेरे अनंतगुण, तेमां चारित्रना
ईच्छानुं ज्ञान थयुं ते ज्ञानगुणरूप परिणामीना परिणाम छे, ते कांई ईच्छाना
परिणामना आश्रये नथी. आम ईच्छापरिणाम ने ज्ञानपरिणाम बंनेनुं जुदुं
परिणमन छे, एकबीजाना आश्रये नथी.