एकबीजाना आश्रये नथी, एम बताववुं छे. राग अने ज्ञान बंने कार्य जुदा
छे, एकबीजाना आश्रये नथी.
देनाराना आश्रये थया नथी, पण चारित्रगुणना आश्रये थया छे,
चारित्रगुण ते वखते ते परिणामरूपे परिणम्यो छे.
द्रव्यना आश्रये ज्ञानपरिणाम थाय छे, अन्यना आश्रये नहि. ए ज रीते
सम्यग्दर्शनपरिणाम, सम्यग्ज्ञानपरिणाम, आनंदपरिणाम वगेरेमां पण
समजवुं. ते ज्ञानादि परिणामो द्रव्यना आश्रये छे, अन्यना आश्रये नथी,
तेमज परस्पर एक– बीजाना आश्रये पण नथी.
तेना उपर मीट मांड तो तारी पर्यायमां मोक्षमार्ग प्रगटे; ते मोक्षमार्गरूपी
कार्यनो कर्ता पण तुं ज छो, अन्य कोई नहि.
अस्तिरूप वस्तु छे, तेमां अनंतगुण छे; ज्ञान छे, आनंद छे, श्रद्धा छे,
अस्तित्व छे, एम अनंतगुणो छे. ते अनंतगुणोना भिन्नभिन्न जे अनंत
परिणाम समये समये थाय ते बधानो आधार परिणामी एवुं आत्मद्रव्य छे,
बीजी वस्तु तो तेनो आधार नथी, पण पोतामां बीजा गुणना परिणाम पण
तेनो आधार नथी, –जेम के श्रद्धापरिणामनो आधार ज्ञानपरिणाम नथी