Atmadharma magazine - Ank 266-267
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्म वर्ष २३ अंक २
वीर सं. २४९२ मागशर
[द्रव्य–गुण–पर्यायना ज्ञानथी भेदज्ञान ने सुख]
तारा द्रव्यने तारा गुण–पर्याय सहित जाण,
बीजा द्रव्यने बीजाना गुण–पर्याय सहित जाण.
पण एक द्रव्यने बीजाना गुणपर्यायसहित न जाण.
जगतना बधीजा पदार्थो तेना गुण–पर्यायो सहित छे, पण
तेना गुण–पर्यायोने तारी साथे संबंध नथी.
तारा गुण–पर्यायो तारामां, तेनो संबंध बीजा साथे नथी.
–आम स्व–परना द्रव्यगुणपर्यायने भिन्नभिन्न ओळखीने
भेदज्ञान कर.
कर्मना गुण–पर्यायने पुद्गलना जाण, ने आत्माना गुण–
पर्यायने आत्माना जाण.
जे पदार्थने जाणवो होय ते पदार्थ तेना गुणपर्यायवडे
ओळखाय छे, पण एकना गुणपर्याय वडे बीजो पदार्थ ओळखाय नहीं.
आवा भिन्न गुण–पर्यायनो निर्णय करतां, मारा गुण–पर्याय
मारा द्रव्यमां समाय छे– एम नक्क्ी थाय छे एटले पर साथे
एकत्वबुद्धि तूटीने पोताना द्रव्य उपर लक्ष जाय छे त्यां सुख पर्याय
प्रगटे छे.
आम द्रव्य–गुण–पर्यायना ज्ञानथी सुख प्रगटे छे.