Atmadharma magazine - Ank 266-267
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 67 of 73

background image
: ६४ : आत्मधर्म : मागशर : २४९२
वस्तुमां होवा छतां तेने जे नथी स्वीकारतो ने कोई एक भावने ज एकान्त पकडी ल्ये छे,
तो ते मिथ्याद्रष्टि ज छे. पण सर्वज्ञदेवे वस्तुमां एक साथे जोयेला अनेकभावो (पुरुषार्थ,
स्वभाव, नियत वगेरेने) एक साथे जे स्वीकारे छे तेनो तो निर्णय साचो छे. ने
वस्तुस्वरूपनो स्वीकार थतां परिणति अंतरस्वभावमां वळीने निजकार्य करी ज रही छे.
वस्तुस्वभावनुं अगाध सामर्थ्य प्रतीतमां स्वीकार्युं त्यां ते स्वीकारनारी परिणति पोते पण
अगाध सामर्थ्यवाळी थई गई छे. अगाध सामर्थ्य ज्ञानमां प्रगटी गयुं छे. केवळज्ञानमां तो
अपार सामर्थ्य छे पण तेने नक्क्ी करनार मति–श्रुत ज्ञानमां अत्यारे पण अगाध महिमा
प्रगट्यो छे. तेने अंतरमां पोतानुं कार्य थई ज रह्युं छे.
ज्ञानीने पोताना आत्मामां कार्य सधाई ज रह्युं छे, त्यां बीजा ते जाणे एनी शी
जरूर छे! एटले बीजाने देखाडवानुं के कहेवानुं क््यां रहे छे! माटे ज्ञानीने बीजाने कांई
देखाडवानो भाव नथी. (आ न्याय कहेती वखते गुरुदेव घणा भावपूर्वक ज्ञानीनो महिमा
समजावता हता.)
अहो, जे ज्ञानीने अंतरमां ‘ठीक’ थई ज रह्युं छे, पोते पोतानुं ‘ठीक’ करी ज रह्या
छे–हित साधी ज रह्या छे–त्यां, ‘आ ठीक करे छे’ एम बीजा जाणे तो ठीक एवुं क््यां छे?
बीजाने देखाडवानुं शुं काम छे? अमारुं काम अंदर चाली ज रह्युं छे! बीजा जीव पोतामां
एवुं ठीक करशे त्यारे आने ओळखी लेशे. अहीं जेवी ज्ञानदशा छे तेवी सामामां आवशे
त्यारे ते आने ओळखी लेशे–के ठीक, आने आम थयुं छे! बाकी बीजा तो शुं ओळखशे?
बीजाने एना जेवुं थाय त्यारे आने ओळखेने?
आम घणा महिमापूर्वक घणा भावथी कह्युं हतुं. चर्चामां वारंवार गुरुदेवना मुखथी
एवा उद्गार नीकळी जता के “अहो! जिनशासन!! वाह! वाह! तारी बलिहारी छे!
तारा रहस्यो घणा ऊंडा छे.”
अहोहो! ’ एम थाय (एटले के महिमा आवे) पण ते तो पोतामां ने पोतामां
छे. अहोहो–कहीने कांई बीजाने बताववानुं नथी. केवुं गंभीर तत्त्व! आ तो पोते पोतानुं
करी लेवानुं छे. अंदर अहोहो कर्युं (एटले के अपूर्व कार्य कर्युं) –त्यां बीजा तेने ‘अहोहो’
कहे–तो सन्तोष थाय एवुं कांई नथी. एनो सन्तोष तो पोताथी ज छे; पोताना
अनुभवनो सन्तोष पोतामां ज छे.
अहा, आ वस्तुस्वभावनी वात जेणे स्वीकारी, हुं ज्ञान छुं एम निर्णय कर्यो एने
पछी थोडा ज भव होय. आमां तो मोक्षनो निर्णय छे, आत्मानो निर्णय छे. आ रीते आ
खास प्रयोजनभूत वात छे.
आम स्वभाव महिमावाळी घणी सरस चर्चा थई हती. तेनी आ तो मात्र टूंकी
यादी छे.