Atmadharma magazine - Ank 266-267
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 68 of 73

background image
: मागशर : २४९२ आत्मधर्म : ६५ :
भावनानुं घोलन ने वारंवार तेना निर्विकल्प स्वसंवेदननी प्रेरणा मुमुक्षुओने आत्मा
प्रत्ये उत्साहित करे छे, बपोरे समयसार–कलश टीकाना प्रवचनमां पण अध्यात्मनुं
सुमधुर झरणुं वहे छे. रात्रे तत्त्वचर्चामां पण पू. गुरुदेवे आखा मास दरमियान
आत्माना उंडाणना अवनवा न्यायो तथा अनेकविध आनंदकारी प्रसंगोनुं श्रवण
कराव््युं, जे सांभळतां श्रोताजनोने हर्षोल्लास थयो हतो. ने एम थतुं के ‘अहा,
गुरुदेवना प्रवचनमां एक कलाक सुधी धारावाही अध्यात्मस्वरूपनुं श्रवण करतां चित्त
एवुं एकाग्र थाय छे–जाणे के कोई बीजा ज अगम्यदेशमां विचरता होईए, ने आ
संसारथी दूर दूर क््यांय चाल्या गया होईए.’
फागण सुद बीज:– सं. १९९७ना फागण सुद बीजे विदेहीनाथ
सीमधंरभगवाननी सुवर्णपुरीमां पधरामणी थई, ते आनंदप्रसंगने आ फागण सुद
बीजे पचीस वर्ष पूरा थाय छे, तेथी ते प्रसंग उल्लासथी उजववानी भावना छे.

* बोटादना गांधी छोटालाल मणिलाल कारतक सुद बीज ता. २६–१०–६प ना
रोज माटुंगा मुकामे स्वर्गवास पाम्या छे.
* चूडाना मणिबेन रायचंद कामदार ता. १३–१२–६प आसो वद त्रीजना रोज
स्वर्गवास पाम्या छे.
* इंदोर मुकामे शेठ अमृतलाल हंसराज गतमासमां स्वर्गवास पाम्या छे.
* स्वर्गस्थ आत्माओ वीतरागी देव–गुरु–धर्मना शरणे आत्महित पामो....ए
ज भावना.