Atmadharma magazine - Ank 266-267
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ६८ : आत्मधर्म : मागशर : २४९२
सिद्धोंकी पहाडी
स्वर्णभद्र आदि मुनि चार, पावागिरि वर शिखर मंझार;
चेलना नदी तीरके पास, मुक्ति गये वंदुं नित तास.
नर्मदा नदीनुं बीजुं नाम चेलणा छे. तेना किनारे पावागिरि नामनी नानीशी
पहाडी उपरथी सुवर्णभद्र आदि चार मुनि मोक्ष पधार्या छे. आजे पण ते पहाडी
सिद्धोंकी पहाडी एवा नामथी प्रसिद्ध छे. त्यां विक्रम सं. २९९ नी प्राचीन दिगंबर
जिन प्रतिमा जाणे के बे हजार वर्षना प्राचीन जैनईतिहासनुं गौरव संभळावे छे. (त्यां
मंदिरना भोंयरामां मोटामोटा त्रण प्रतिमा बिराजे छे.) पू. गुरुदेवे संघसहित आ
तीर्थनी यात्रा बे वार करी छे.
जैनोनी वस्ती गणतरी
भारतमां समग्र जैनोनी वसती लगभग एक करोड जेटली होवानो
वृद्धपुरुषोनो अंदाज छे. पू. गुरुदेवे भारतना तीर्थोनी बे वखत जे महान यात्रा करी ते
प्रसंगे गामेगाम ने शहेरेशहेरमां जे हजारो लाखोनी जैन मेदनी उमटेली ते जोतां पण
जैनोनी वस्ती घणी मोटी होवानो अंदाज बंधाय छे. परंतु, नामनी साथे जैन शब्द न
होवाने कारणे सरकारी वस्तीपत्रकमां मात्र वीस लाख जेटली ज गणतरी थाय छे, ने
बाकीना लाखो जैनोनी गणतरी हिंदुओना पेटामां थई जती होय छे. आ परिस्थिति
टाळवा ने जैनोनी साची गणतरी करवानो प्रयत्न घणा वखतथी चाले छे. दरेक जैनोए
पोताने ‘जैन” तरीके ओळखाववानी टेव पाडवी जोईए.
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