Atmadharma magazine - Ank 268
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: माह : २४९२ आत्मधर्म : १७ :
स्वतंत्रतानी
घोषणा
(चार बोलथी स्वतंत्रतानी
घोषणा करतुं खास प्रवचन)
(हप्तो बीजो)

समयसार–कलश २११ उपर पू. गुरुदेवना
आ खास प्रवचननो पहेलो हप्तो आत्मधर्मना
गतांकमां आवेल छे. तेमां, वस्तुस्वरूपथी कर्ता–
कर्मपणुं एक ज वस्तुमां होय छे–एवी स्वतंत्रतानी
घोषणा करतां एम बताव्युं के (१) वस्तुना जे
परिणाम छे ते ज खरेखर कर्म छे; अने (२) ते
परिणाम वस्तुनां ज छे, बीजानां नहि. त्यार
पछीना बीजा बे बोल अहीं आपवामां आव्या छे.
वस्तुस्वरूपनी आवी स्वतंत्रता समजतां, भेदज्ञान
थईने स्वद्रव्याश्रित मोक्षमार्ग प्रगटे छे.
(३) कर्ता वगर कर्म होतुं नथी
कर्ता एटले परिणमनारी वस्तु, ने कर्म एटले तेनी अवस्थारूप कार्य;
कर्ता वगरनुं कर्म होतुं नथी एटले वस्तु वगरनी पर्याय होती नथी; सर्वथा
शून्यमांथी कोई कार्य उत्पन्न थई जाय एम बनतुं नथी.