छे, ते भिन्न वस्तुमां होतां नथी.
ज छे. आ हाथ, आंगळी के ईच्छा तेनो कर्ता नथी.
ईच्छा ते सम्यग्ज्ञाननी कर्ता नथी. आत्मा ज कर्ता थईने ते कार्यने करे छे.
कर्ता वगरनुं कर्म नथी ने बीजो कोई कर्ता नथी, एटले जीवकर्ता वडे ज्ञानकार्य
थाय छे. आ प्रमाणे बधा पदार्थोना बधा कार्योमां ते ते पदार्थनुं ज कर्तापणुं छे
एम समजी लेवुं.
वस्तुस्वरूप समजावीने मार्ग स्पष्ट करी दीधो. संतोए बधो मार्ग सहेलो ने
सीधोसट करी दीधो, तेमां वच्ये क््यांय अटकवापणुं नथी. परथी छूटुं आवुं
स्पष्ट वस्तुस्वरूप समजे तो मोक्ष थई जाय. बहारथी तेमज अंदरथी आवुं
भेदज्ञान समजतां मोक्ष तो हथेळीमां आवी जाय छे. हुं परथी तो छूटो ने
मारामां एक गुणनुं कार्य बीजा गुणथी नहि–आ महासिद्धांत समजतां
स्वाश्रयभावे अपूर्व कल्याण प्रगटे छे.
नवा परिणामरूपे ते बदल्या करे छे–ए वात कहेशे. दर वखते प्रवचनमां आ
चोथा बोलनो विशेष विस्तार थाय छे, आ वखते बीजा बोलनो विशेष
विस्तार आव्यो.