Atmadharma magazine - Ank 268
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : माह : २४९२
बालविभागनी स्तुति
अमे तो जिनवरनां संतान,
अमारे भणवा जैनसिद्धान्त;
भणवुं गणवुं अमने वहालुं,
साधर्मी पर छे वहाल..
अमे तो जिनवरनां संतान (१)
भणतां भणतां मोटा थईशुं,
करशुं आत्मानुं भान;
उपकार ए गुरुजी तणो छे,
वंदीए वारंवार.....
अमे तो जिनवरनां संतान (२)
जिनवरदर्शन, गुरुनी सेवा,
शास्त्र तणो अभ्यास;
रत्नत्रयने प्रगट करीने,
जईशुं सिद्धनी पास....
अमे तो जिनवरनां संतान (३)
आपणा बालविभागनी आ स्तुति छे, ते
तमे वांचजो, मोढे करजो, तमारी
“अमे जिनवरनां सन्तान”
धर्मवत्सल बालबंधुओ,
आपणा आ बालविभागनुं