Atmadharma magazine - Ank 269
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९२ आत्मधर्म : ९ :
वडे परमात्म तत्त्वने प्रतीतमां ले. पोताना अनुभवमां ज्यां परमात्म तत्त्व प्राप्त कर्युं
त्यां हवे बीजा पासेथी शुं लेवुं छे? ने बीजाने शुं देखाडयुं छे? हुं कंईक विशेष छुं–एम
दुनिया जाणे तो ठीक–एवी बुद्धि ज्ञानीने नथी. पोतानुं पद पोतामां ज देखे छे, ने तेना
अवलोकनथी पोतानुं कार्य साधी ज रह्या छे, त्यां लोकमां प्रसिद्धिनुं शुं काम छे? धर्मी
जाणे छे के अमारी परिणति अंतरमां अमारुं काम करी ज रही छे, त्यां लोक जाणे के न
जाणे तेनाथी शुं प्रयोजन छे? बीजा वडे पोतानी मोटाई धर्मी मानता नथी. अरे,
चक्रवर्तीपद वडे के ईन्द्रपद वडे कांई आत्मानी मोटप नथी, आत्मा पोते ज सौथी महान
परम तत्त्व छे, एवा उत्कृष्ट पदने धर्मी पोतामां ज देखे छे. चैतन्यना पूर पोतामां ज
वहे छे, आनंदना समु़द्र पोतामां ज ऊछळी रह्या छे, आवा उत्तम स्वतत्त्वने ज्ञानी
पोताना अंतरमां ज अवलोके छे, तेथी ते ज्ञानी पोते ‘पर–लोक’ छे. परम तत्त्व तो
दरेक आत्मामां छे–पण तेनुं अवलोकन करे ते आत्मा ‘परलोक’ छे, ते ज ब्रह्मलोक छे.
ब्रह्मलोक क््यां आव्यो? के तारा आत्मामां ज तारो ब्रह्मलोक वसे छे. राग वडे जेनी
प्राप्ति न थाय, राग वडे जे देखाय नहि, राग वगरना अंतर्मुख ज्ञान वडे ज जेनी
प्राप्ति थाय, एवुं ब्रह्मस्वरूप परमतत्त्व तुं छो. आत्मा रागस्वरूप नथी के राग वडे
तेनी प्राप्ति थई जाय; आत्मा तो ज्ञानस्वरूप छे, ज्ञान वडे ज तेनी प्राप्ति थाय छे.
आवा ज्ञान वडे तुं तारा आत्मानुं अवलोकन कर–जेना अवलोकनथी परम आनंद
सहित परम सिद्धपदनी तने प्राप्ति थशे.
पर लोकः एटले उत्कृष्टजन: उत्कृष्टकोण? के उत्तम एवो जे आत्मस्वभाव तेनुं
जे अवलोकन करे छे ते जीव पर–लोक छे, पर एटले उत्तम, लोक एटले पुरुष छे. परम
आत्मस्वरूपने निर्विकल्प समाधिमां जे देखे छे ते पोते परलोक छे. अथवा, जेना उत्कृष्ट
केवळज्ञानमां समस्त पदार्थो देखाय छे–अवलोकाय छे ते परलोक छे एटले केवळी
परमात्मा ते परलोक छे. ने केवळी जेवो पोतानो आत्मस्वभाव छे तेनुं अवलोकन
करीने तेने उपादेय करवो ते तात्पर्य छे. एवा उपायथी ज परम ब्रह्मनी प्राप्ति थाय
छे. आत्मानो स्वभाव ते परम ब्रह्म छे अथवा सिद्धदशा ने केवळज्ञानदशा ते परम
ब्रह्म छे.
जेनी बुद्धि स्वसंवेदन वडे निज स्वरूपमां स्थिर थई छे ते ज्ञानी निश्चयथी
उत्तम जन छे. चैतन्यना ब्रह्मानंदना स्वाद पासे विषय कषायोनी रुचि एने छूटी थई
छे; ते महा–जन छे, मोटो माणस छे अथवा महापुरुष छे, जगतमां मोटो कोण? के
महान