Atmadharma magazine - Ank 269
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 14 of 40

background image
: १० : आत्मधर्म : फागण : २४९२
एवा आत्मस्वभावने जे अनुभवमां ल्ये ते ज खरो मोटो; पैसाथी मोटो के भणतरथी
मोटो के होदाथी मोटो–तेने खरेखर मोटो, कहेता नथी.
उत्तम चिदानंद स्वभावमां जेणे मति जोडी छे तेनी परिणतिनी गति पण ते
तरफ ज जशे. केम के ‘यत्र मतिः तत्र गतिः ए नियम छे. उत्तम स्वभावमां जेणे मति
जोडी तेनी गति एटले परिणति पण उत्तम थशे, ते सिद्धगति पामशे. जेणे शुद्धात्मानो
तिरस्कार करीने विकारमां ने विषयकषायमां पोतानी मति जोडी ते संसारमां गमे
तेटलो मोटो कहेवातो होय तोपण तेनी गति तो संसारभ्रमण तरफ ज छे, तेने मोटो
कहेता नथी. मोटो तो तेने ज कहेवाय के शुद्ध आत्मामां मतिने जोडे ने परम सिद्धगति
तरफ गमन करे. परम स्वरूपनुं अवलोकन करीने तेमां जेणे मतिने जोडी छे ते जीव
परलोक छे–ते ज परब्रह्म छे, परम ब्रह्मस्वरूप आत्माने रंगे ते रंगाई गयो छे.
स्वरूपना रंगे रंगायेली एनी वीतराग परिणति सिद्धगतिने साधशे. धर्मीनी मतिनो
प्रवाह अंतरस्वरूपमां जाय छे, अज्ञानीनी मतिनो प्रवाह विकार तरफ जाय छे.
स्वरूपना रंगथी रंगायेली धर्मीनी परिणतिना वहेण परमात्मपदमां पहोंचशे.
अज्ञानीनी परिणतिनां वहेण विकार तरफ वळ्‌या छे ते संसारनी चारगतिने उत्पन्न
करशे.
अरे जीव! रागनी रुचिए तारा स्वभावना प्रेमने लूंटी लीधो छे; तारी मतिने
विकारमां जोडतां तारा निश्चय रत्नत्रय लूंटाई जाय छे. ने शुद्धात्मस्वरूपमां तारी
मतिने जोडतां शुद्ध रत्नत्रयनो वैभव प्रगट थाय छे. माटे तारी मतिने शुद्धात्मामां जोड.
एने छोडीने बीजे क््यांय तारी मतिने न लगाव.
जे मतिए आत्मानी किंमत करी ते मतिमां शुद्धआत्मानी प्राप्ति थशे. जे मतिए
विकारनी किंमत करी ते मतिमां विकारनी ज प्राप्ति थशे. अरे जीव! तने तारा
आत्मानी किंमत करतां य न आवडी! ने विकारनी किंमत टांकीने तुं तारा आत्माने
भूल्यो! जेने जेनी किंमत लागे तेनी मति तेमां जोडाय. शुद्ध स्वभाव अने पर्यायमां
विकार,–बंने विद्यमान होवा छतां धर्मात्माए पोतानी मतिमां शुद्ध स्वभावनी किंमत
टांकी छे, एटले तेनी परिणति तेमां ज जोडाय छे, ने ते सिद्धपदने साधे छे, ने ते
अनंता सिद्धभगवंतोनी साथे जईने वसे छे.
अनंता सिद्धभगवंतो एक ठेकाणे अनंत आनंदसहित भेगा बिराजे छे. ने तेथी
विरुद्ध स्वरूपनी विराधना करनार जीवो निगोदमां एक देहमां एक साथे अनंता, अनंत
दुःखसहित रहे छे. आम जाणीने हे जीव! तारी मतिने तुं शुद्ध आत्मामां जोड. तेमां
मति जोडतां ज तुं अतीन्द्रिय आनंदथी तृप्त तृप्त थई जईश.