मोटो के होदाथी मोटो–तेने खरेखर मोटो, कहेता नथी.
तिरस्कार करीने विकारमां ने विषयकषायमां पोतानी मति जोडी ते संसारमां गमे
तेटलो मोटो कहेवातो होय तोपण तेनी गति तो संसारभ्रमण तरफ ज छे, तेने मोटो
कहेता नथी. मोटो तो तेने ज कहेवाय के शुद्ध आत्मामां मतिने जोडे ने परम सिद्धगति
तरफ गमन करे. परम स्वरूपनुं अवलोकन करीने तेमां जेणे मतिने जोडी छे ते जीव
परलोक छे–ते ज परब्रह्म छे, परम ब्रह्मस्वरूप आत्माने रंगे ते रंगाई गयो छे.
प्रवाह अंतरस्वरूपमां जाय छे, अज्ञानीनी मतिनो प्रवाह विकार तरफ जाय छे.
करशे.
मतिने जोडतां शुद्ध रत्नत्रयनो वैभव प्रगट थाय छे. माटे तारी मतिने शुद्धात्मामां जोड.
एने छोडीने बीजे क््यांय तारी मतिने न लगाव.
आत्मानी किंमत करतां य न आवडी! ने विकारनी किंमत टांकीने तुं तारा आत्माने
भूल्यो! जेने जेनी किंमत लागे तेनी मति तेमां जोडाय. शुद्ध स्वभाव अने पर्यायमां
विकार,–बंने विद्यमान होवा छतां धर्मात्माए पोतानी मतिमां शुद्ध स्वभावनी किंमत
टांकी छे, एटले तेनी परिणति तेमां ज जोडाय छे, ने ते सिद्धपदने साधे छे, ने ते
अनंता सिद्धभगवंतोनी साथे जईने वसे छे.
दुःखसहित रहे छे. आम जाणीने हे जीव! तारी मतिने तुं शुद्ध आत्मामां जोड. तेमां
मति जोडतां ज तुं अतीन्द्रिय आनंदथी तृप्त तृप्त थई जईश.