Atmadharma magazine - Ank 269
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९२ आत्मधर्म : ३ :
अहो, वीतराग सर्वज्ञदेवनां कहेलां तत्त्वो अजब छे! अनंतगुणस्वभावने जोतां
पर्यायमां अनंतगुणनुं शुद्धकार्य आवे छे, ने बंधभाव टळे छे. आम बंधनुं टळवुं ने
मोक्षनुं थवुं–ए व्यवहार विषयमां छे. पण धु्रवस्वभावनी द्रष्टिथी जोतां आत्मा बंध–
मोक्षने करतो नथी, एकरूप छे तेमां बंध–मोक्षनुं बेपणुं नथी. एकरूपतत्त्वमां बंध ने
मोक्ष एवा बे प्रकार शा? धु्रवद्रष्टि करतां पर्यायमां बंध टळे छे ने मोक्ष थाय छे–ए तो
खरुं, पण ते धु्रवद्रष्टि जे शाश्वतवस्तुने देखे छे ते वस्तुमां बंध–मोक्षना भेद नथी.
हवे शिष्य पूछे छे के प्रभो! शुद्धनयथी जो आत्माने बंध–मोक्ष नथी, तो पछी
बंधने टाळवानुं ने मोक्षनो उपाय करवानुं पण वृथा थाय!–तो पछी मोक्षना पुरुषार्थनो
उपदेश केम आपो छो?
तेना उत्तरमां कहे छे के भाई, शुद्धआत्माने उपादेय करतां पर्यायमां मोक्षमार्ग
प्रगटे छे ने बंधन टळे छे. पण आखी शुद्धवस्तु कांई नवी प्रगटती नथी.
मोक्ष छे ते बंधनपूर्वक थाय छे, बंधन जेने होय ते तेनो अभाव करीने मोक्ष
पामे. हवे शुद्धद्रव्यनी द्रष्टिथी एटले के कायमी वस्तुना स्वभावमां जो बंधन होय तो ते
बंधन पण कायमी ज रहे. धु्रवद्रष्टिथी जो बंधन होय तो बंधन पण धु्रव ज रहे, ने
आत्मा हंमेशा बंधायेलो ज रहे,–पण एम नथी. बंधननो छेद थईने मोक्षदशा प्रगटे छे,
माटे बंधन क्षणिक छे, ते धु्रववस्तुमां नथी. अने धु्रववस्तु बंधायेली नथी, माटे
धु्रववस्तुनी अपेक्षाए बंध–मोक्ष नथी. धु्रववस्तुमां बंधन कहेवुं ते तेनो अनादर करवा
जेवुं छे. अने धु्रववस्तुमां बंधन नथी तो तेने मोक्ष थवानुं कहेवुं ते पण बनी शकतुं
नथी.
जेम कोई माणस ‘जेलमांथी छूटयो’ एम कहेतां, ते माणस पहेलां जेलमां हतो–
एम सिद्ध थाय छे. पण जे माणस जेलमां गयो ज नथी तेने एम कहेवुं के तुं जेलमांथी
छूटयो–तो ते तेनुं अपमान करवा जेवुं छे. तेम पर्यायद्रष्टिथी आत्माने पर्यायमां बंधन
हतुं ने पर्यायमां मोक्ष थयो–ए वात बराबर छे, पण जे वस्तुस्वभावमां कदी बंधन छे
ज नहि ते वस्तुस्वभावने ‘मोक्ष’ केम कहेवो? भाई, आवो तारो जे परम एकरूप
स्वभाव तेने स्वानुभूतिगम्य करतां सम्यग्दर्शन थाय छे. शुद्धस्वभावनी अनुभूतिथी
पर्यायमां बंधनो नाश ने मोक्षनी उत्पत्ति थाय छे.
मोक्ष कहो, निश्चयमोक्षमार्गनी पर्याय कहो–ते पण व्यवहारनयनो विषय छे.
व्यवहारनयना आश्रयथी मोक्ष थाय छे–एम नथी कहेवुं, पण जे मोक्षपर्याय छे ते