परमस्वभाव छे. ते परमस्वभावनो आश्रय करनारी पर्याय ते मोक्षमार्ग छे.
धु्रवस्वभावना आश्रये पर्यायमां बंध टळीने मोक्ष थाय छे, ते सत्य छे. माटे पर्यायमां
मोक्षनो उद्यम कर्तव्य छे.
– के पर्यायने धु्रवस्वभावमां अंतर्मुख करवाथी मोक्षनो उद्यम थाय छे.
शुद्धपर्यायवडे मोक्षमार्ग साधवो ते धर्मीनो व्यवहार छे; धर्मीना आवा
छे, निष्क्रिय एटले के बंध–मोक्षनी क्रिया जेनामां नथी एवो धु्रव परमस्वभाव ते
निश्चय छे, ने तेना आश्रये शुद्धपरिणति प्रगटी ते व्यवहार छे. ते परिणति सक्रिय छे.
बंध टाळवो ने मोक्ष प्रगट करवो एवी क्रिया पर्यायमां थाय छे. जुओ, आ एक
आत्मतत्त्वमां निष्क्रियपणुं ने सक्रियपणुं ए बंने वात एक साथे छे; एटले पर्यायमां
मोक्षनो यत्न थाय छे. धु्रव शुद्धात्मामां अंतरलक्ष करतां मोक्षमार्ग ने मोक्ष प्रगटे छे.
आवा शुद्धात्मानुं लक्ष ते साचा विसामानुं स्थान छे.–आ ज सम्यग्द्रष्टिनुं उपादेयतत्त्व
छे; आवा परमतत्त्वने उपादेय करतां पर्यायमां मोक्षमार्ग ऊघडी जाय छे. आवा
अंतरतत्त्वने अंतरद्रष्टिवडे उपादेय करवानो सन्तोनो उपदेश छे.