Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४९२ आत्मधर्म : १७ :
८ प्रश्न:– चैतन्यनी क्रिया शेमां होय अने शेमां न होय?
उत्तर:– चैतन्यनी क्रिया चैतन्यमां होय अने चैतन्यनी क्रिया जडमां न होय.
९ प्रश्न:– धर्मद्रव्य एटले शुं?
उत्तर:– जे द्रव्य गति करतां जीव अने पुद्गलने उदासीन निमित्त छे तेने
धर्मद्रव्य कहे छे?
१० प्रश्न:– माछलीने गति करवामां पाणी निमित्त थाय छे तो पाणी धर्मद्रव्य छे
के नहि?
उत्तर:– पाणी धर्मद्रव्य नथी, केम के पाणी तो रूपी वस्तु छे, रूपीपणुं ते
पुद्गलनो गुण छे. धर्मद्रव्य तो अरूपी छे.
११. प्रश्न:– पुद्गल द्रव्य कया गुण वडे जाणे अने कया गुण वडे जणाय?
उत्तर:– पुद्गल द्रव्य जड छे तेथी तेनामां जाणवानी शक्ति नथी, तेना
‘प्रमेयत्व’ गुणने लीधे ते जीवना ज्ञानमां जणाय छे.
१२ प्रश्न:– अगुरुलघुत्वगुण आपणने प्रगट छे के नहि?
उत्तर:– अगुरुलघुत्वगुण बे जातना छे, एक अनुभवी अने बीजो प्रतिजीवी;
तेमांथी अनुजीवी अगुरुलघुत्वगुण तो सामान्य होवाथी बधाने प्रगटे छे, पण
प्रतिजीवी अगुरुलघुत्व गुण ते जीवद्रव्यनो विशेष गुण छे. आपणने ते गुण अत्यारे
प्रगट नथी, सिद्ध दशामां ते गुण प्रगटे छे.
१३ प्रश्न:– साता अने असाताना उदयना अभावथी जीवने क््यो गुण प्रगटे?
उत्तर:– अव्याबाध गुण प्रगटे छे.
१४ प्रश्न:– सिद्धने साता होय के न होय?
उत्तर:– सिद्धने साता–असाता एकेय न होय; छतां तेमने पूर्ण आत्मिक सुख
होय.
१प प्रश्न:– सिद्धने कर्मनो उदय आवे तो अवतार ल्ये के नहि?
उत्तर:– सिद्धने कदापि कर्मना उदय आवे नहि अने तेमने कदी पण अवतार
होय नहि, ए तो जन्म–मरण रहित थया छे.
१६ प्रश्न:– सम्यग्दर्शन छे ते पुण्य छे के गुण छे?
उत्तर:– सम्यग्दर्शन ते पुण्य नथी पण धर्म छे, अने ते गुण नथी. पण श्रद्धा
गुणनी पर्याय छे.
१७ प्रश्न:– ज्यारे आत्मानो मोक्ष थाय त्यारे केवो आकार होय?
उत्तर:– लगभग छेल्ला शरीर जेवो (कांईक ओछो) आकार होय छे.
१८ प्रश्न:– जगतमां द्रव्य केटलां? तेमां सौथी मोटुं द्रव्य कयुं? सौथी महत्तावाळुं
कयुं? अने सौथी नानुं कयुं?