Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: २६ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९२
एने ज मोक्षमार्ग माने छे. पण ज्ञानी ए वात माने नहि. भाई, राग तो बंधभाव
छे, एना वडे मोक्ष क््यांथी सधाय? अरे, बंधभाव अने मोक्षभाव वच्चेनो पण जेने
विवेक नथी एने शुध्धात्मानुं वीतरागी संवेदन क््यांथी थाय? अने स्वानुभवना
किरण फूटया वगर मोक्षमार्गनो प्रकाश क्यांथी प्रगटे? अज्ञानीने स्वानुभवनो
कणियो पण नथी, तो पछी मोक्षमार्ग केवो? स्वानुभव वगर जे कांई पण भाव करे
ते बधाय भावो बंधपध्धत्तिमां समाय छे, तेनाथी बंधन सधाय छे, ते कोई भाव
मोक्षमार्गमां आवता नथी, तेनाथी मोक्ष सधातो नथी.
जेम राजमार्गनी सीधी सडकमां वच्चे कांटा–कांकरा न होय, तेम मोक्षनो आ
सीधो–स्पष्ट राजमार्ग, तेमां वच्चे रागनी रुचिरूप कांटा–कांकरा नथी. संतोए
शुध्धपरिणतिरूप राजमार्गे मोक्षने साध्यो छे, ने ए ज मार्ग जगतने दर्शाव्यो छे.
प्रश्न:– आ राजमार्ग छे तो बीजो केडीमार्ग हशे ने?
उत्तर:– केडीमार्ग ते कांई राजमार्गथी विरुद्ध तो न ज होय. राजमार्ग जतो
होय पूर्व तरफ ने केडीमार्ग जाय पश्चिममां–एवुं तो न बने. भले केडीमार्ग होय पण
तेनी दिशा तो राजमार्ग तरफनी ज होय. तेम सम्यग्दर्शन–ज्ञान उपरांत
शुध्धोपयोगी चारित्र दशा ते तो मोक्षनो सीधो–राजमार्ग छे, तेना वडे ते भवे ज
केवळज्ञान ने मोक्ष पामी शकाय छे; अने एवी चारित्रदशा वगरना जे सम्यग्दर्शन–
ज्ञान छे ते हजी अपूर्णमोक्षमार्ग होवाथी तेने केडीमार्ग कहेवाय. ते एकाद बे भवमां
मोक्षमार्ग पूरो करीने मोक्षने साधशे. पूरो मोक्षमार्ग के अधूरो मोक्षमार्ग,–पण ए
बंनेनी दिशा तो स्वभाव तरफनी ज छे, राग तरफनी एक्केयनी दिशा नथी.
रागादिभावो तो मोक्षमार्गथी विपरीत छे एटले के बंधमार्ग वडे मोक्षमार्ग सधाय
नहीं. मोक्षमार्गना आश्रये बंधन न थाय, ने बंध मार्गना आश्रये मोक्ष न थाय.
शुं शुभराग ते मोक्षनुं कारण थशे? तो कहे छे के ना; राग वखते रागनो
निषेध करनारो क््यो भाव छे? रागनो निषेध करनारो भाव जाग्या वगर
वीतरागभावरूप मोक्षमार्गने साधशे कोण? राग वखते तेनो निषेध करनारा जे
सम्यग्दर्शन ने सम्यग्ज्ञान छे ते ज मोक्षमार्ग छे. आवा सम्यग्दर्शन ने सम्यग्ज्ञान
जाग्या त्यारे ज साचो मोक्षमार्ग शरू थयो. सम्यग्द्रष्टि स्वानुभवना प्रमाणमां
मोक्षमार्ग साधे छे. शुभरागना प्रमाणमां कांई मोक्षमार्ग सधातो नथी, ए तो
बंधपध्धति छे.