Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९२
एक कोलेजियननो पत्र
(जे अमारा बालविभागना सभ्य छे)
(कोलेजमां भणता युवोनोने धर्ममां रस नथी होतो–एवी एक धारणा केटलाक
लोकोमां वर्ते छे, परंतु अमारा बालविभागना सभ्य नंबर ६ नो अहीं रजु थतो पत्र
ते धारणाने जुदी पाडे छे. पत्रलेखक भाई २०–२२ वर्षनी वयना छे ने श्रीमंत पिताना
एकना एक पुत्र छे; मुंबई जेवा शहेरनी कोलेजमां एन्जीनीयरींगना बीजा वर्षमां
अभ्यास करे छे.–अने छतां साथे धर्मना विषयमां पण केवो रस छे–ते अहीं रजु थता
तेमना पत्रमां देखाशे. बालविभागमां पूछायेला ३ प्रश्नोना जवाबरूपे तेमणे लखेलो
पत्र धन्यवाद साथे अहीं अक्षरश: प्रगट कर्यो छे. बालविभागना प०० उपरांत
सभ्योमां कोलेजियनो पण घणा छे, ने बालमंदिरमां भणता बाळको पण छे. बधा
सभ्यो बालविभागमां बहु ज उत्साहथी भाग लई रह्या छे.)
(पत्र)
मुंबई ता. ३१–१–६९
गया अंकथी आत्मधर्ममां बालविभाग शरू थयो छे ते वांची आनंद. तेमां
पूछेला प्रश्नोना जवाब आपवाथी अमारा जेवा मुंबईमां रहेता बाळकोने जैनधर्मना
मूळभूत सिद्धांतो पर विचार करवानी तक मळे छे. हुं बालविभागनी सफळता ईच्छु
छुं, आत्मधर्ममां पूछायेला प्रश्नोना जवाब नीचे आपुं छुं.
विश्व छद्रव्यनोनुं बनेलुं छे. (१) जीव, (२) पुद्गल, (३) धर्मास्तीकाय, (४)
अधर्मास्तीकाय, (प) आकाश (६) काळ.
जवाब. १. छ द्रव्योमांथी जेनामां ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य वगेरे विशेष गुणो
छे ‘ते जीव छे.’ जीव अरूपी छे. जीव ज छ ए द्रव्योने प्रसिद्ध करे छे. जो जीव न होत
तो छ द्रव्योने जाणत कोण? तेथी जीव एक उत्तम पदार्थ छे. जेम के हुं एक जीवद्रव्य छुं.
जवाब. २. जीव सिवायना बाकीना जे पांच द्रव्यो छे तेने ‘अजीव’ कहेवामां
आवे छे. तेमनामां ज्ञान, दर्शन वगेरे गुणो नथी. ‘पुद्गलद्रव्य’ ते रूपी द्रव्य छे.
तेनामां स्पर्श रस, गंध, वर्ण वगेरे गुणो छे. जेमके शरीर, पेन, कागळ वगेरे
‘धर्मास्तीकाय’ ज्यारे जीव अने पुद्गल स्वयं पोतानी योग्यतानुसार गति करे त्यारे
निमित्त बने छे. ते एक अरूपी द्रव्य छे. तेनामां गतिहेतुत्व नामनो विशेष गुण छे.