ते धारणाने जुदी पाडे छे. पत्रलेखक भाई २०–२२ वर्षनी वयना छे ने श्रीमंत पिताना
एकना एक पुत्र छे; मुंबई जेवा शहेरनी कोलेजमां एन्जीनीयरींगना बीजा वर्षमां
अभ्यास करे छे.–अने छतां साथे धर्मना विषयमां पण केवो रस छे–ते अहीं रजु थता
तेमना पत्रमां देखाशे. बालविभागमां पूछायेला ३ प्रश्नोना जवाबरूपे तेमणे लखेलो
पत्र धन्यवाद साथे अहीं अक्षरश: प्रगट कर्यो छे. बालविभागना प०० उपरांत
सभ्योमां कोलेजियनो पण घणा छे, ने बालमंदिरमां भणता बाळको पण छे. बधा
सभ्यो बालविभागमां बहु ज उत्साहथी भाग लई रह्या छे.)
(पत्र)
मूळभूत सिद्धांतो पर विचार करवानी तक मळे छे. हुं बालविभागनी सफळता ईच्छु
छुं, आत्मधर्ममां पूछायेला प्रश्नोना जवाब नीचे आपुं छुं.
तो छ द्रव्योने जाणत कोण? तेथी जीव एक उत्तम पदार्थ छे. जेम के हुं एक जीवद्रव्य छुं.
तेनामां स्पर्श रस, गंध, वर्ण वगेरे गुणो छे. जेमके शरीर, पेन, कागळ वगेरे
‘धर्मास्तीकाय’ ज्यारे जीव अने पुद्गल स्वयं पोतानी योग्यतानुसार गति करे त्यारे
निमित्त बने छे. ते एक अरूपी द्रव्य छे. तेनामां गतिहेतुत्व नामनो विशेष गुण छे.