Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ३६ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९२
त्रण प्रश्नोना टूंका जवाब
(१) जीव कोने कहेवाय? जे जाणे ते जीव; अथवा जेनामां ज्ञान होय ते जीव.
(२) अजीव कोने कहेवाय? जेनामां ज्ञान नथी, जे कांई जाणतुं नथी ते अजीव छे.
(३) आपणा पहेला अने छेल्ला भगवाननुं नाम शुं? चोवेस तीर्थंकरमांथी
पहेला श्री ऋषभदेव भगवान; ने छेल्ला श्री महावीर भगवान.
लगभग ३०० सभ्योए जवाबो लखी मोकल्या छे; तेमांथी एकाद बे सिवाय
बधाना जवाबो साचा छे. आ वखते तमने परीक्षानी तैयारीमां राहत रहे ते माटे नवा
प्रश्नो नथी पूछया.
प्रश्नो संबंधमां एक भाई लखे छे के सहेलाने बदले अघरा प्रश्नो पूछो; भाई,
तमारी जिज्ञासाने हिसाबे तमारी वात बराबर छे, परंतु आपणा बालविभागना
प०० सभ्योमांथी मोटा भागना साव नानकडा छे–जेने हजी लखतां पण मांडमांड
आवडे छे ने छतां प्रश्नोमां होंशथी भाग लई रह्या छे. अघरा प्रश्नोथी एवा बाळकोने
उत्साह तूटी न जाय ने तेमने आवडे ए आपणे प्रथम जोवानुं छे. अने, तमारी बुद्धिनी
कसोटी करे एवा प्रश्नो पण योग्य समये जरूर आपीशुं.
पांच कोयडानो जवाब (पंचपरमेष्ठी)
(१) आकाशमां विचरे छे पण पंखी नथी, देव छे पण एने देवी नथी;
शरीर छे पण खाता नथी, बोले छे पण मोढुं खोलता नथी;
चाले छे पण पगला भरता नथी....ए कोण? (अरिहंतदेव)
(२) भगवान छे पण बोलता नथी, बधुं जाणे छे पण आंख नथी,
कांई आपता नथी छतां बधाने गमे छे, ने आपणने एनी पासे बोलावे छे;
–ए
कोण?...... (सिद्धभगवान)
(३) शास्त्रो बनावे छे, उपदेश रूडो आपे छे;
साधुथी पण मोटा छे, कुंदकुंदप्रभुना जोटा छे...ए कोण छे?...... (आचार्य)
(४) रत्नत्रयना धारक छे, भक्तोने भणावे छे,
शास्त्रोना अर्घ शीखवे छे, श्रुतज्ञानना दरिया छे.....ए कोण? (उपाध्याय)