Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ४४ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९२
एम माने, के पर्यायनी अशुद्धता जेटलो ज आखो आत्मा माने तेने
रागरहित शुद्धतत्त्वना अनुभवनो के राग–द्वेष टाळवानो अवकाश
रहेतो नथी.
(९९) प्रश्न:– सर्वज्ञनी साची प्रशंसा–महिमा कई रीते थाय?
उत्तर:– सर्वज्ञदेवनुं स्वरूप जेवुं छे तेवुं बराबर ओळखवुं तेमां ज तेनी साची
प्रशंसा छे.
(१००) प्रश्न:– सर्वज्ञदेवनी निंदा कोण करे छे?
उत्तर:– सर्वज्ञदेवनुं जेवुं स्वरूप छे तेवुं जे नथी मानता, ने तेनाथी विपरीत
माने छे ते जीव सर्वज्ञदेवनी निंदा करे छे अर्थात् अवर्णवाद करे छे.
सर्वज्ञनी प्रशंसा के महिमानी तेने खबर नथी.
* * *
राजकोट
सोनगढमां वैशाख सुद बीजनो ७७मो जन्मोत्सव उजवाया बाद वैशाख सुद
चोथ ता. २४–४–६६ रविवारे पू. गुरुदेव राजकोट पधारशे ने त्यां पंदर दिवस रोकाई
वेशाख वद पांचम ता. ९–प–६६ सोमवारे पुन: सोनगढ पधारशे. त्यारबाद ता.
१पमीथी शिक्षण वर्ग शरू थशे.
वैशाख सुद बीज
आगामी वैशाख सुख बीजे गुरुदेवनो ७७मो जन्मोत्सव सोनगढमां उजवाशे.
सोनगढमां गुरुदेवनो जन्मोत्सव अनेक वर्ष बाद उजवातो होवाथी विशेष
हर्षोल्लासथी उजवाशे. त्यारबाद वैशाख वद छठे समवसरणप्रतिष्ठानो महोत्सव तथा
वैशाख वद आठमे समयसारप्रतिष्ठानो महोत्सव उजवाशे.