६२ धर्मात्मा कारणपरमात्माना आश्रये निज परमात्मकार्यने साधे छे.
६३ धर्मात्मा परम पंचमभावने ध्यावीने पंचमगतिरूप मोक्षने साधे छे.
६४ धर्मात्मानी साची ओळखाण राग वगरना ज्ञानवडे थाय छे.
६प धर्मात्मानी साची ओळखाण करनार जीव पोते धर्मी थई जाय छे.
६६ धर्मात्मानी उपासना सम्यक्पणे जीवे कदी करी नथी.
६७ धर्मात्माना द्रष्टि अष्ट महागुणवडे उज्वळताथी दीपी ऊठे छे.
६८ धर्मात्माना अतीन्द्रिय सुखवेदनने अज्ञानीओ ओळखता नथी.
६९ धर्मात्मा सिद्धप्रभुना सुखनो नमूनो पोतामां अनुभवे छे.
७० धर्मात्मा सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रने ज मोक्षमार्गपणे उपासे छे.
७१ धर्मात्मा सिद्धि अने तेनुं साधन बंने पोतामां ज देखे छे.
७२ धर्मात्मा कहे छे–मने तो आत्मा ज गमे, बीजुं कांई न गमे.
७३ धर्मात्मा पोते अनुभवेलुं तत्त्व कृपापूर्वक बीजाने पण देखाडे छे.
७४ धर्मात्मा ए कलियुगना मुमुक्षु जीवोनुं कल्पवृक्ष छे.
७प धर्मात्मानी प्रसन्नता–वडे मुमुक्षु मोक्षमार्गने साधी ल्ये छे.
७६ धर्मात्माए अनुभवेलुं आनंदमय परमतत्त्व मने पण प्राप्त हो.
७७ धर्मात्माना पुनित चरणमां वंदना हो शत शत हरिनी.
आवा परम महिमावंत धर्मात्माओने नजरे नीहाळवा माटे हे