स्वभावनुं साधन करवाने बदले धनने वधारवा माटे तुं आ अवसर वेडफी नांखे छे तो
तारा जेवो मूर्ख कोण? तुं दिनरात धननी वृद्धि अर्थे प्रयत्न करीने पाप बांधे छे, ने
स्वभावधर्मनुं साधन तुं करतो नथी. आयुष्य अने पुण्य घटे छे छतां धननी वृद्धिथी तुं
माने छे के हुं वध्यो, पण भाई, एमां तारुं कांई हित नथी. तारुं हित तो एमां छे के तुं
तारा स्वभावनुं साधन कर...आत्माना मोक्षने माटे प्रयत्न कर. आ भव छे ते भवना
अभावने माटे छे एम समजीने तुं आत्माना हितनो उद्यम कर, आवो हितकारी ईष्ट
उपदेश संतोए आप्यो छे.
एने कांई विचार नथी. एने धन जेटलुं वहालुं छे तेटलुं जीवन वहालुं नथी, तेथी धनने
अर्थे ते जीवनने वेडफी नांखे छे. ईष्ट एवो जे आत्मा तेने भूलीने तेणे धनने ईष्ट
मान्युं, तेथी धनने अर्थे जीवन गाळे छे. पण ईष्ट तो मारो ज्ञान स्वभावी आत्मा छे,
एना सिवाय बीजुं कांई मारुं ईष्ट नथी एम जेणे आत्माने ईष्ट जाण्यो ते जीव
आत्माने साधवा मागे पोतानुं जीवन गाळे छे, ईष्ट तो साचुं ते ज छे के जेनाथी भव
दुःख टळे ने मोक्षसुख मळे. आवा ईष्टने जे भूल्यो ते ज परने ईष्ट मानीने तेमां सुख
माने छे ने तेमां जीवन गुमावे छे. धर्मीने तो आत्मानो स्वभाव ज सुखरूप ने वहालो
लाग्यो छे, ‘जगत ईष्ट नहि आत्माथी’ एम आत्माने ज ईष्ट समजीने तेना साधनमां
जीवन गाळे छे.