उपर जोर घणुं, ज्यारे एमनाथी विरुद्ध विचारवाळाने सर्वज्ञनी प्रतीतमां ज वांधा.
जेणे सर्वज्ञनो निर्णय कर्यो छे तेना अनंतभव सर्वज्ञे दीठा ज नथी, केमके एना हृदयमां
तो सर्वज्ञ बेठा छे. जेना हृदयमां सर्वज्ञ बेठा तेने अनंत भव होय नहि. सर्वज्ञना
निर्णय वगर ज्ञानस्वभावनो निर्णय थाय नहि. भगवानना मार्गनो निर्णय थाय नहि,
भगवाननी वाणीनो (शास्त्रनो) निर्णय थाय नहि. एक्केय तत्त्वनो निर्णय सर्वज्ञना
निर्णय वगर थाय नहि. सर्वज्ञनो निर्णय करतां ज्ञानस्वभावमां बुद्धि घूसी जाय छे,
त्यारे मार्ग हाथ आवे छे. जैनशासननी आ मूळभूत वस्तु छे. जुओने, समयसारमां
वक्ता अने श्रोता बंनेना आत्मामां सिद्धने स्थापीने ज शरूआत करी छे.
गुरुदेव! आप धोळा ने हुं काळो एम केम?
गुरुदेव कहे–भाई आत्मा क््यां काळो के धोळो छे? हुं जीव ने तुं पण जीव,