: ३० : आत्मधर्म : वैशाख : २४९२
पुण्य बंधाय. एवो उपयोग तो धर्मना बहुमानथी सत्पात्र दान करवुं–ए ज छे.
लोकोने जीवनथी ने पुत्रथीये धन वहालुं होय छे, पण धर्मी–श्रावकने धन करतां
धर्म वहालो छे, एटलेधर्मनी खातर धन वापरवानो एने उल्लास आवे छे. तेथी
श्रावकना घरमां अनेक प्रकारे दाननो वेपार हंमेशा चाल्या करे छे. धर्म अने दान
वगरना घरने तो स्मशानतूल्य गणीने कहे छे के एवा गृहवासने तो ऊंडा पाणीमां
जईने ‘स्वा.....हा’ करी देजे. जे एकला पापबंधननुं ज कारण थाय एवा गृहवासने तुं
तिलांजलि दई देजे, पाणीमां झबोळी देजे. अरे, वीतरागी सन्तो आ दाननो गूंजारव
करे छे....ए सांभळतां कया भव्यजीवनुं हृदयकमळ न खीले? कोने उत्साह न आवे?
भ्रमरना गूंजारवथी ने चन्द्रना उदयथी कमळनी कळि तो खीली ऊठे, पत्थर न खीले;
तेम आवो उपदेश–गूंजारव सांभळतां धर्मनी रुचिवाळा जीवनुं हृदय तो खीली
ऊठे.....के वाह! देव गुरुधर्मनी सेवानो अवसर आव्यो....मारा धन्य भाग्य.....के मने
देव–गुरुनुं काम मळ्युं.–आम उल्लसी जाय. शास्त्रमां कहे छे के शक्तिप्रमाणे दान करवुं.
तारी पासे एक रूपियानी मूडी होय तो तेमांथी एक पैसो आपजो....पण दान जरूर
करजे, लोभ घटाडवानो अभ्यास जरूर करजे. लाखो–करोडोनी मूडी भेगी थाय त्यारे ज
दान दई शकाय ने ओछी मूडी होय तेमांथी दान न दई शकाय एवुं कांई नथी. पोतानो
लोभ घटाडवानी वात छे, एमां कांई मूडीना माप उपर जोवानुं नथी. सारो श्रावक
मूडीनो चोथोभाग धर्ममां वापरे, मध्यमपणे छठ्ठो भाग वापरे ने ओछामां ओछो
दशमो भाग वापरे एवो उपदेश छे. जेम चंद्रकान्तमणिनी सफळता क््यारे? के चंद्रना
संयोगे एमांथी पाणी झरे त्यारे; तेम लक्ष्मीनी सफळता क््यारे? के सत्पात्रना संगे ते
दानमां वपराय त्यारे धर्मीने तो आवा भावो होय ज छे पण एना दाखलाथी बीजा
जीवोने समजावे छे.
संसारमां लोभीजीवो धन मेळववा माटे केवा केवा पाप करे छे? लक्ष्मी तो जोके
पुण्यअनुसार मळे छे पण तेने मेळववा माटे घणा जीवो जूठुं–चोरी वगेरे अनेक
प्रकारनां पापभाव करे छे, कदाच कोई जीव एवा भाव न करे ने प्रमाणिकताथी वेपार
करे तोपण लक्ष्मी मेळववानो भाव ते पाप ज छे. आ बतावीने अहीं एम कहे छे के
भाई, जे लक्ष्मी खातर तुं आटला–आटला पाप करे छे अने जे लक्ष्मी पुत्रादि करतांय
तने वधु वहाली छे, ते लक्ष्मीनो उत्तम उपयोग ए ज छे के सत्पात्रदान वगेरे
धर्मकार्यमां ते वापर; सत्पात्रदानमां वपरायेली लक्ष्मी असंख्य गणी थईने फळशे. एक
माणस चार–पांच हजार रूपियानी नवी नोटुं लाव्यो ने घरे स्त्रीने आपी; ते बाईए ते
चूला पासे मुकेली ने बीजा कामे जरा दूर गई. तेनो नानो छोकरो पाछळ सगडी पासे
बेठो हतो; शियाळानो दि’ हतो. छोकराए नोटुंना कागळिया लईने