Atmadharma magazine - Ank 271
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 40 of 81

background image
: वैशाख : २४९२ आत्मधर्म : ३३ :
(लेखांक: २)

सोनगढमां वीर सं. २४७१ ना वैशाख मासमां (एटले के आजथी २२ वर्ष
पहेलां) उनाळानी रजा दरमियान शिक्षण वर्गमां अभ्यास करता विद्यार्थीओए
अरस्परस करेला एक दिवसना प्रश्नोत्तरनो केटलोक भाग. (गतांकथी चालु)
३१. प्रश्न:– जीव अरूपी छे अने धर्म–अधर्म आकाश–काळ द्रव्यो पण अरूपी छे
तो पछी तेमने जीव केम न कहेवाय?
उत्तर:– जीव अरूपी छे ए खरूं, परंतु जीवनुं लक्षण अरूपीपणुं नथी, जीवनुं
लक्षण तो चेतना छे; बीजा चार अरूपी द्रव्योमां चेतना नथी माटे ते जीव नथी.
३२. प्रश्न:– कागळमां अक्षर लखाणा’ त्यां कागळमां उत्पाद–व्यय–धु्रव थयुं के
नहि? कई रीते?
उत्तर:– उत्पाद–व्यय–धु्रव तो बधी वस्तुमां होय ज छे. कागळमां ज्यारे अक्षर
लखाणा त्यारे तेमां लखाणरूप दशानी उत्पत्ति थई, कोरी दशानो व्यय थयो अने
कागळपणे धु्रवपणे टकी रह्यो छे; आ रीते उत्पाद–व्यय–धु्रव थया छे.
३३. प्रश्न:– छ द्रव्यनां लक्षण शुं? छए द्रव्योनां लक्षण जुदा शा माटे?
उत्तर:– जीवनुं लक्षण चेतना; पुद्गलनुं लक्षण वर्ण–गंध रस–स्पर्श, अर्थात्
रूपीपणुं; धर्मास्तिकायनुं लक्षण गतिमां निमित्त थवुं ते; अधर्मास्तिकायनुं लक्षण स्थिर
थवामां निमित्त थवुं ते; आकाश द्रव्यनुं लक्षण बधाने जग्या आपवी ते; अने
काळद्रव्यनुं लक्षण परिणमनमां निमित्त थवुं ते छे; छए द्रव्यो जुदा जुदा होवाथी ते
छएनां लक्षण जुदा छे. जुदी जुदी वस्तुनुं लक्षण जुदुं जुदुं ज होय. लक्षणनी भिन्नता
वगर वस्तुनी भिन्नता ओळखी शकाय नहि.
३४. प्रश्न:– काळ द्रव्यनी केटली संख्या छे अने ते कई रीते रहे छे? तथा काळ
द्रव्यना केटला भेद छे?
उत्तर:– लोकाकाशना जेटला असंख्य प्रदेशो छे तेटला काळ द्रव्यो छे अने
लोकाकाशना प्रत्येक प्रदेश उपर एकेक काळ द्रव्य रहेल छे. काळ द्रव्यना बे भेद छे, काळ
द्रव्यने निश्चयकाळ कहे छे अने समय, आवलि, मुहूर्त, दिवस वगेरे काळ द्रव्यना भेदो छे.