: ३४ : आत्मधर्म : वैशाख : २४९२
तेने व्यवहार काळ कहे छे. काळद्रव्य अरूपी छे.
३प. प्रश्न:– अस्तित्व गुणमां उत्पाद व्यय–धु्रव होय के नहि?
उत्तर:– होय; नवी पर्यायरूपे अस्तित्वनो उत्पाद, जुनी पर्यायरूपे अस्तित्वनो
व्यय अने अस्तित्वगुणनुं सळंग धु्रवपणे टकी रहेवुं–आ रीते अस्तित्वगुणमां उत्पाद–
व्यय–धु्रव छे.
३६. प्रश्न:– कोईए तमने मोक्षना बे रस्ता बताव्या, एक बलुन अने बीजुं
सलुन, तमे क््यो रस्तो पसंद करशो?
उत्तर:– मोक्षनो साचो मार्ग एक ज प्रकारनो छे अने ते आत्मामां ज छे, मोक्षनो
मार्ग बहारनी कोई वस्तुमां–बलुनमां के सलुनमां–कयांय नथी. बहारना कोई साधनथी जे
मोक्षनो मार्ग बतावे ते अज्ञानी छे. अमे तो आत्माश्रित मोक्षमार्गने ज पसंद करशुं.
मोक्ष कोई बहारना क्षेत्रमां नथी तेथी मोक्ष माटे बहारना साधननी जरूर नथी.
मोक्ष तो आत्मामां ज थाय छे. तेथी सम्यक्त्वरूपी सलुन अने चारित्ररूपी बलुन ए ज
मोक्षनो मार्ग छे.
३७. प्रश्न:– परमाणुना जथ्थाने स्कंध कहेवाय छे तो पछी स्कंधना जथ्थाने शुं कहेवाय?
उत्तर:– स्कंधना जथ्थाने पण स्कंध कहेवाय छे.
३८. प्रश्न:– छ द्रव्यो छे तेमांथी अरूपी केटला अने जड केटला? अरूपी अने
जडमां शुं फेर? ते फेर क््यां पड्यो?
उत्तर:– छ द्रव्योमां पुद्गल सिवायना पांच द्रव्यो अरूपी छे अने जीव सिवायना
पांच द्रव्यो जड छे; अरूपी एटले वर्ण–गंध रस–स्पर्श जेमां न होय ते, अने जड एटले
जेमां ज्ञान न होय ते; जीव द्रव्य अरूपी छे पण जड नथी, पुद्गल द्रव्य जड छे पण
अरूपी नथी, अन्य चारे द्रव्यो जड अने अरूपी छे.
३९. प्रश्नो:– अरिहंत प्रभुने केटला प्रतिजीवी गुणो प्रगट्या होय?–शा माटे?
उत्तर:– अरिहंत प्रभुने एकेय प्रतिजीवी गुणो प्रगट्या होय नहि केमके तेमने
हजी चार अघाति कर्मनो सद्भाव छे; प्रतिजीवी गुण तो सर्व कर्मना नाशथी सिद्धप्रभुने
प्रगटे छे. जेमके नामकर्मना अभावथी सूक्ष्मत्व, गोत्रकर्मना अभावथी अगुरुलघुत्व,
आयुकर्मना अभावथी अवगाहत्व अने वेदनीयना अभावथी अव्याबाधत्व प्रगटे छे.
४०. प्रश्न:– ज्ञान अने चेतनामां शुं फेर?
उत्तर:– ज्ञान ते चेतनानो एक भाग छे; चेतनाना बे प्रकार छे–एक दर्शन अने
बीजो ज्ञान, ‘ज्ञान’ कहेतां एकलुं ज्ञान ख्यालमां आवे छे, ज्यारे ‘चेतना’ कहेतां तेमां
ज्ञान–दर्शन बंने आवी जाय छे.
४१. प्रश्न:– अस्तित्व अने ध्रौव्यमां शुं फेर छे?
उत्तर:– अस्तित्वमां उत्पाद–व्यय–ध्रौव्य त्रणे आवी जाय छे; अने ‘ध्रौव्य कहेतां तेमां