हमारे बन्धुओको भी सुनाता हुं; मेरे लिये यह बहुत अच्छा खेल है! जीतनी वार
पढता हुं नई नई जानकारी होती है! जबतक नया अंक नहीं आता ईसीको पढता
जिसको हम किसी जन्ममें भूल नहीं सकेंगे!
छे. बाल विभागनी आ पेढी भविष्यमां पण धर्म उपर लक्षित थया वगर रहेशे नही;
अने तेने साचा देव–गुरु–धर्मनी श्रद्धाना संस्कार जरूर उत्पन्न थशे. दर्शनकथा पुस्तक
जे कोई बाळक वांचवा हाथमां ल्ये छे तेने एवो रस आवे छे के पूरी कर्या वगर छोडता
नथी. खावा–पीवानुं पण भूली जाय छे. आवी कथा अमारा प्रान्तमां पहेलां
सांभळवामां आवी न हती. (राजस्थानना हिन्दीभाषी बाळको–जेमने हजी
गुजरातीभाषानो पूरो परिचय पण नथी तेओ पण गुजराती बालसाहित्यमां
केवी होंशथी भाग लई रह्या छे! आ वात ‘बालसाहित्य’ नी तीव्र उपयोगिता बतावे
छे. –सं)
दरवखते आवो सुंदर अंक बहार पाडवो–जेथी मारा जेवा बाळको पण होंशभेर वांचवा
लागी जाय.
प्रमाणमां ‘आत्मधर्म’ ने विकसाववा पूरतो प्रयत्न करी रह्या छीए....अने धीमे धीमे
तमे लखो छो तेवी परिस्थितिमां पहोंची जईशुं. अत्यारे तो जग्याना अभावे कोई
कोईवार जरूर लेखो पण मुलतवी राखवा पडे छे.
प्रश्न:– बीजा भवो करतां मनुष्यभवने दुर्लभ केम कह्यो?