: जेठ : २४९२ आत्मधर्म : ३१ :
आ प्रतिओ जोतां तेना लेखके श्रुतनी केटली भक्तिपूर्वक तेनुं आलेखन कर्युं
हशे! ते देखाई आवे छे. श्रुतभक्तो सेंकडो वर्षोथी आ ताडपत्रोनी रक्षा करता
आव्या छे. आजे आपणा महाभाग्ये आ वीर–वाणीनी आपणे स्वाध्याय करी
शकीए ए रीते देशभाषामां तेनुं प्रकाशन थयुं छे. धवलना १६ पुस्तक अने
महाधवलना (–जेनुं साचुं नाम महाबंध छे तेना) ७ पुस्तक –एम २३ पुस्तकमां
षट्खंडागम (धवल–महाधवल टीका सहित) पूर्ण थाय छे. अने जयधवल ए
‘कषायप्राभृत’ नी टीका छे; तेनुं प्रकाशन हजु अधूरुं छे; ९ पुस्तको प्रकाशित थाय
छे, बाकीनां पुस्तको प्रकाशित थवानी जिज्ञासुओ राह जुए छे.
आ धवलसिद्धांतना ताडपत्रोनी लंबाई २ फुट अने पहोळाई २ाा ईंच छे;
पत्रोनी संख्या प९२ छे. दरेक पानां पर लगभग १४ पंक्ति छे अने दरेक पंक्तिमां
सरेराश १३८ अक्षर छे. एटले दरेक ताडपत्र उपरना श्लोकनी संख्या अंदाज
१२०ााा थाय छे, ने कूल ग्रंथनुं लखाण ७१४८४ श्लोक जेटलुं थाय छे. (धवला
टीका ७२हजार श्लोक प्रमाण गणाय छे.)
मूडबिद्रिमां धवलसिद्धांतनी ताडपत्रीय प्रति एक ज नहि परंतु त्रण छे.
महाधवलना ताडपत्रोनी लंबाई २ फूट ४ ईंच ने पहोळाई २ाा ईंच छे. पत्र
संख्या २०० छे.
ताडपात्रमां वच्चे बे काणां देखाय छे तेमां दोरी परोवीने बांधवा माटे छे.
वजनदार सूयावडे ताडपत्रमां लखतां तेमा अक्षर कोतराई जाय छे, ने पछी तेमां
शाही भरतां ते अक्षरो स्पष्ट वंचाय छे.
जयधवल–सिद्धांतना ताडपत्रनी लंबाई २ा फुट अने पहोळाई २ाा ईंच छे.
पानां ११८ छे.
पवित्र सिद्धांतनी आ प्रतो मूडबिद्रिना जिनमंदिरमां बिराजमान छे तेनुं
चित्र सामे आप्युं छे; ते मंदिरने ‘सिद्धांत मंदिर’ सिद्धांत वसदि अथवा गुरुबसदि
कहेवामां आवे छे. तेमां मूळनायक पार्श्वनाथ भगवान छे.