Atmadharma magazine - Ank 272
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 45 of 65

background image
: ४० : आत्मधर्म : जेठ : २४९२
विजयार्द्धपर्वत तथा गंगा–सिंधु महा नदीवडे भरतक्षेत्रना आ छ विभाग पड्या छे.
(जुओ चित्र)
आर्यखंडनी वच्चे एक जोजन अर्थात्
पांचहजार माईल भूमि उपर उपसेली छे;
ते उपसेली
भूमि उपर आपणे
रहीए छीए. आ
उपसेली भूमिमां
एक तरफ आपणुं
भारतवर्ष छे तथा तेनी सामेना बीजा भागमां
अमेरिका देश छे. जुओ, सामेनुं चित्र.
चोथा काळनी आदिमां भरतक्षेत्रनो आ
भाग उपसेलो न हतो. पण समतल चित्रा
पृथ्वी हती; पछी काळक्रमे भरतक्षेत्रना
आर्यखंडनी चित्राभूमिना सपाट भाग उपर माटीनां थरनां थर जामता गया,
एटले ते पृथ्वी वधती गई अने ते वृद्धिगत
भूभाग लगभग उपरोक्त आकारनो (नकशामां छे
तेवो) बनी गयो, अर्थात् ते भाग खाडा–टेकरावाळी
सोगठी जेवो बनी गयो. आजकालना वैज्ञानिको आ
उपसेला भागनी चारेकोर पूर्वथी पश्चिम चक्कर लगावे
छे. –उत्तरथी दक्षिण (अर्थात् उपरथी नीचे) चक्कर लगावता नथी. (केमके दक्षिण
धु्रवनो भाग खुल्लो नथी, ते भाग मूळ चित्रापृथ्वी साथे जोडायेलो छे.) (जुओ
उपरनु चित्र) आ उपसेला भाग उपर समुद्र पण छे जेनुं पाणी लवणसमुद्रनी समान
छे. ‘उत्तरधु्रव’ आ उपसेली पृथ्वीना उपरना भागने कहेवाय छे, ‘दक्षिणधु्रव’ ए कोई
क्षेत्र नथी केमके उपसेली पृथ्वीनो नीचेनो भाग चित्रापृथ्वी साथे लागेलो छे. विमान
पृथ्वीना उपसेला भागने उत्तरथी दक्षिण (एटले के उपरथी नीचे) चारे तरफ प्रदक्षिणा
करी शकतुं नथी. जो विमानने उत्तरथी दक्षिण घूमाववानो प्रयत्न करवामां आवे तो ते
विमान दक्षिण तरफ जईने चित्रापृथ्वी साथे टक्कर खाशे, अने नष्टभ्रष्ट थई जशे.
आजसुधी कोई रोकेट–विमाने वर्तमान पृथ्वीने बराबर