Atmadharma magazine - Ank 272
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ४४ : आत्मधर्म : जेठ : २४९२
विपुल सम्पत्तिना वारसदार
गवान महावीर परमात्मानी द्वादशांगरूपे गुंथायेली दिव्य
वाणीनो जे अंश भगवान धरसेन–पुष्पदंत–भूतबलि–वीरसेन
आचार्योए संघरी राख्यो ते महान पवित्र श्रुत आजे महाभाग्ये
प्रकाशमां आव्युं छे. जो के द्वादशांगनो एक नानो अंश ज बच्यो छे तो
पण विषय अने रचनानी द्रष्टिथी ते हिमालय जेटलो विशाळ अने
दरिया जेवो गंभीर छे. एना विवेचननी सूक्ष्मता अने प्रतिपादननो
विस्तार जोतां आपणा जेवा अल्पज्ञानीओनी बुद्धि चकचूर थई जाय छे
अने भलभला विद्वानोनुं पण पाणी उतरी जाय छे. आपणे माटे आ
महान गौरवनी वात छे के आवी ऊच्च अने विपुल साहित्य–
सम्पत्तिना आपणे वारसदार छीए.
मूडबिद्रिना शास्त्रभंडारमां ताडपत्र–अंकित आ पवित्र श्रुतनी
प्रति, सेंकडो वर्षोथी अध्ययननी वस्तु न रहेतां मात्र पूजन अने
दर्शननी वस्तु बनी गई हती. छतां एटलुं शासननुं महाभाग्य के तेनी
संपूर्ण रक्षा थई. हवे आजे श्रुतप्रेमी मुमुक्षुओने माटे ते फरीने अध्ययन
योग्य बन्युं छे. जेम जेम आ श्रुतनुं ऊंडु अध्ययन वधतुं जाय छे तेम
तेम तेनी पूज्यता पण वधती जाय छे अहो, श्रुतरसिकोने आनंदकारी
आ सम्यक्श्रुत जयवंत वर्तो.
(देखो, षट्खंडागम प्रस्तावना पानुं–प–६–७ पुस्तक पहेलुं)
वद ऋषभदेव–गर्भकल्याणक
सुद ४ (पूजासंग्रहना आधारे) धर्मनाथ मोक्षकल्याणक वद ६ वासुपूज्य गर्भकल्याणक
सुद प श्रुतपंचमी–पर्व–अंकलेश्वरमां वद ८ विमलनाथ मोक्षकल्याणक
षट्खंडागम–जिनवाणीनो महान उत्सव वद १० नमिनाथ–जन्म अने दीक्षा
सुद १२ सुपार्श्वनाथ जन्म अने दीक्षा