Atmadharma magazine - Ank 272
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : आत्मधर्म : ४प ब :
धूरानुं वाहन करवामां समर्थ छे.....आथी ‘जयउ सुयदेवदा’ (श्रुतदेवता जयवंत हो)
एवा आशीर्वचन तेमना मुखमांथी नीकळ्‌या. बीजे दिवसे बंने मुनिवरो आवी पहोच्यां
ने विनयपूर्वक तेमना चरणोमां वंदन कर्या. बे दिवस बाद धरसेनाचार्ये तेमनी परीक्षा
करी. एकने वधु अक्षरोवाळा ने बीजाने हीनअक्षरोवाळा विद्या–मंत्र आपीने बे
उपवासपूर्वक ते साधवानुं कह्युं. विद्याओ सिद्ध थई त्यारे एक देवी मोटा दांतोवाळी
अने बीजी देवी काणी एम कदरूपमां देखाणी; तेने जोईए चतुर साधुओए जाणी लीधुं
के पोताना मंत्रोमां कंईक खामी छे–केमके देवो विकृतांग होता नथी. तेमणे विचारपूर्वक
मंत्रमां अधिक अने हीन अक्षरोनी घट–वध करीने फरी विद्यानी साधना करी, जेथी बंने
देवीओ पोताना कुदरती सौम्यरूपमां प्रगट थई. तेमनी आ कुशळताथी गुरुए जाणी
लीधुं के सिद्धांत भणाववा माटे तेओ योग्य पात्र छे. पछी तेमणे तेओने सिद्धांतनो
अभ्यास कराव्यो. आ श्रुताभ्यास असाड सुद अगियारसे समाप्त थयो; अने ते भूत
जातिना देवोए पुष्पोपहार द्वारा शंख वगेरे वाजिंत्रोना मंगल नाद सहित एक साधुना
महा पूजा करी, तेथी आचार्ये तेमनुं
भूतबलि नाम राख्युं; बीजा साधुनी दंतपंक्ति
अस्तव्यस्त हती ते देवोए सरखी करी दीधी तेथी तेनुं नाम पुष्पदन्त राख्युं. आ ज
बंने आचार्यो षट्खंडागमना रचयिता थया.
आ रीते धरसेनस्वामी, पुष्पदंतस्वामी ने भूतबलीस्वामी ए श्रुतवत्सल
संतोनी त्रिपुटीए एक साथे सौराष्ट्रनी धराने पावन करीने श्रुतना धोरिया
वहेडाव्या छे.
षट्खंडागम’ मां सत्परूपण अधिकारना कर्ता पुष्पदन्तस्वामी छे अने शेष
समस्त ग्रंथना कर्ता श्री भूतबलिस्वामी छे. भूतबलिआचार्ये षट्खंडागमनी
रचनापुस्तकारुढ करीने अने तेने ज्ञाननुं उपकरण मानीने, जेठ सुद पांचमना रोज
चतुर्विधसंघनी साथे अंकलेश्वरमां ते श्रुतनी महापूजा करी तेथी ते दिवसनी प्रख्याति
‘श्रुतपंचमी’ तरीके जैनोमां चाली आवे छे, ने ते दिवसे श्रुतपूजा करवामां आवे छे.
आ षट्खंडागम–सिद्धांत उपर महानविस्तृत धवलाटीकाना रचनार श्री
वीरसेनाचार्यना महिमा संबंधमां जिनसेनस्वामीए कह्युं छे के ‘षट्खंडागम’मां तेमनी
वाणी अस्खलितरूपे प्रवर्तती हती. तेमनी सर्वार्थगामिनी नैसर्गिक प्रज्ञाने देखीने कोई
बुद्धिमानने सर्वज्ञनी सत्तामां शंका रही न हती.’
[पारदश्वाधिविश्वानां साक्षादिव स
केवली] वीरसेनस्वामीनी धवला टीकाए षट्खंडागम सूत्रोने चमकावी दीधा.