ऊंधा परिणाममांथी; माटे खरेखर तारा परिणामनुं जोर छे,
कर्मनुं नहीं; एम परिणामनी स्वाधीनता जाणीने,
स्वसन्मुख परिणामथी शुद्धात्माने उपादेय करतां मोक्षमार्ग
प्रगटे छे.
छे. शुद्धआत्मतत्त्व उपादेय करवानो सन्तोनो उपदेश छे, एटले
स्वपुरुषार्थथी स्वसन्मुख परिणामवडे जेणे शुद्धात्माने द्रष्टिमां ने
अनुभवमां लीधो तेने निमित्तपणे कर्मनुं जोर रहेतुं नथी. ने
विकारभावो पण छूटी जाय छे; आ रीते शुद्धात्माने उपादेय करवो ते ज
मोक्षमार्ग छे.
बहारना जाणपणानी किंमत ज्ञानीने नथी. जेनाथी मोक्षमार्ग न सधाय ने जेमां
आत्मानां आनंदनो अनुभव न थाय तेनी शी किंमत? सम्यग्दर्शनादि ते परिणाम ज
खरेखर किंमती छे के जेनाथी मोक्षमार्ग सधाय छे–ने जेमां आत्माना आनंदनो
अनुभव छे. आ सिवाय बहारना संयोगनी, वाणीना विलासनी, विकल्पोनी के बीजा
जाणपणानी महत्ता जेने लागे तेने चैतन्यस्वभावनी महत्तानी खबर नथी, ते बहारना
महिमामां