Atmadharma magazine - Ank 273
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: अषाड : २४९२ आत्मधर्म : ३ :
सिद्धिनो पंथ शुं? निर्मळ आत्मानुं ध्यान करवुं ते; सम्यग्दर्शननी रीत पण ए
ज छे; आत्माना ध्यानवडे ज सम्यग्दर्शन थाय छे ने सिद्धिपंथनी शरूआत थाय छे.
अतीन्द्रिय आनंदथी भरेलो आत्मा, तेनी सन्मुख जोतां तेना परम आनंदनुं
वेदन थाय छे. ए सिवाय जगतना बीजा कोई पदार्थमां सुखनो अंश पण नथी. भाई,
तारुं सुख तारा अस्तित्वमां छे; बीजाना अस्तित्वमां तारुं सुख नथी. ज्यां पोतानुं
सुख भर्युं होय त्यां जुए तो सुखनो अनुभव थाय. सर्वज्ञ सिद्धपरमात्माने देहातीत
पूर्ण आनंद प्रगट थयो छे, ने बधा आत्माओ एवा ज पूर्णआनंदथी भरपूर छे एम ते
भगवाने जोयुं छे. आवा भगवानने नमस्कार करवा ते मंगळ छे. तेमां पोताना
शुद्धआत्मानी प्रतीत भेगी समाई जाय छे.
सिद्ध भगवान शुद्धआत्मामां उपयोगने जोडीने सिद्धपद पाम्या, तेने हुं नमस्कार
करुं छुं एनो अर्थ ए के हुं पण एवा मारा शुद्ध आत्मामां उपयोगने जोडुं छुं–आम
पोताने शुद्धात्माना ध्याननी रुचि ने तालावेली लागी छे. संसारथी भयभीत थईने
मोक्षने साधवानी भावनावाळो जीव पोताना उपयोगने शुद्धआत्मस्वरूपमां जोडे छे.
जुओ, मंगलाचरणमां कर्मना नाशनो उपाय पण भेगो बताव्यो, के
शुध्धआत्मामां उपयोगने जोडवो ते ज कर्मना नाशनो उपाय छे. सिद्ध भगवान आ
रीते कर्मकलंकने दग्ध करीने सिद्धि पाम्या एम प्रतीत करीने पोते पण ते मार्गे जाय छे
एटले शुद्धात्मा तरफ उपयोगने जोडे छे.–आनुं नाम योग छे, ते मंगळ छे, ने ते मोक्षनुं
कारण छे.
जे सिद्ध थया ते आत्मा पण सिद्ध थवा पहेलां बहिरात्मा हता; पछी पोताना
परमस्वभावने जाणीने, रागनी ने ज्ञाननी भिन्नताना भान वडे अंतरात्मा थया, ने
शुद्ध परमस्वभावनुं ध्यान करी करीने परमात्मा थया. एवा परमात्मा जेवो ज परम
स्वभाव मारामां छे एम लक्षमां लईने हुं ते सिद्धपरमात्माने नमस्कार करुं छुं.
समयसारनी शरूआतमां पण ‘वंदित्तुं सव्वसिद्धे’ एम मांगलिक करीने
सिद्धभगवंतोने नमस्कार करतां कहे छे के अहो, आत्माना ईष्ट–ध्येयरूप एवा सर्व
सिद्धोने हुं मारा तेमज श्रोताओनां आत्मामां बोलावुं छुं, आदर करुं छुं, श्रद्धामां–
ज्ञानमां लऊं छुं. अनंता सिद्धोनो जे समूह सिद्धनगरीमां वसे छे, तेमने हुं मारा
ज्ञानमां स्थापुं छुं. ऊर्ध्वलोकनी सिद्धनगरीमां बिराजमान सिद्धोने प्रतितना बळे मारा
आत्मामां ऊतारुं छुं.–मारा श्रद्धा–ज्ञानरूपी आंगणाने चोख्खां करीने हुं
सिद्धभगवंतोनो सत्कार करुं छुं ने ए सिवाय बीजा परभावोनो आदर छोडी दऊं छुं;
एटले के मारी परिणतिने रागथी