Atmadharma magazine - Ank 273a
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म : प्र. श्रावण : २४९२
करवो जोईए. ने मुमुक्षुने जीवनमां ए एक ज महत्त्वनुं कार्य छे.
*
सभ्य नं. ६९२ नडीयादथी पूछे छे–
मोक्ष क््यां आव्युं?–आत्मामां.
ते मेळववा माटे शुं करवुं?–आत्माने जाणीने तेमां लीन थवुं.
अमरफळ कोने कहेवुं?–मोक्षने
ते मेळववा शुं करवुं?–स्वानुभव.
कैलासगिरि क््यां आव्युं? उत्तर दिशामां. (मूळ कैलासपर्वत अत्यारे आपणने मळतो नथी.)
चंपापुरी क््यां आव्युं? कलकत्ताथी लगभग २प० माईल दूर, भागलपुर स्टेशनथी
बे माईल दूर. सम्मेदशिखरथी लगभग २०० माईल दूर.
ते यात्राधामो प्रख्यात शा माटे छे? तीर्थंकर भगवंतो त्यां विचर्या तेथी; तेने जोतां
तीर्थंकरोना पवित्र जीवननुं स्मरण थाय ने आराधनानो उत्साह जागे.
*
निजानंदभाई (कहाननगर सोसायटी. दादर) पूछे छे:–‘वांचको साथे वातचीत’ वडे
प्रभावीत थईने हुं आ प्रश्न पूछवा प्रेरायो छुं. अहीं एक विद्वान पासेथी सांभळ्‌युं के जेम देह
अने वस्त्र भिन्न छे तेम आत्मा अने देहनी क्रिया भिन्न छे.–एमां तो शंका नथी; परंतु,
दिव्यध्वनिने अने भगवानने पण संबंध नथी–ए वात बराबर बेसती नथी,–तो समजावशो.
भाई, जो आत्मा अने देहनी भिन्नतानी पहेली वात तमने बराबर बेठी होत तो,
भगवाननी अने दिव्यध्वनिनी भिन्नतानी बीजी वात पण तमने तरत बेसी जात. एटलुं
समजी लेवुं जरूरी छे के जीव ए चेतनतत्त्व छे, ने दिव्यध्वनि ते अचेतनतत्त्वनी रचना छे.
दिव्यध्वनि ए पौद्गलिक रचना होवाथी ते काने अथडाय छे, चेतनतत्त्व काने अथडाय नहि;
आ प्रकारे बंने भिन्न भिन्न तत्त्वो छे, ने बे भिन्न तत्त्वो वच्चे निमित्त–नैमित्तिक संबंध होय
तोपण कर्ताकर्मपणुं होतुं नथी. आ प्रकारनी भिन्नता समजाववा, दिव्यध्वनिने अने
भगवानने संबंध नथी एम कहेवामां आवे छे.
दिव्यध्वनि संबंधी तमारा बीजा प्रश्नो–
प्र:– दिव्यध्वनि शा हेतुथी नीकळे छे?
उ:– भव्य जीवोना महान भाग्योदयथी, अने भगवान अरिहंतदेवने ते प्रकारनो
वचनयोग होवाथी दिव्यध्वनि सहजपणे ईच्छा वगर नीकळे छे; ने असंख्य श्रोताजनो
भक्तिपूर्वक ते सांभळीने चैतन्यनी समजणवडे पोतानुं कल्याण करे छे.
प्र:– दिव्यध्वनि केटलो समय संभळाय छे?
उ:– तीर्थंकर भगवाननी दिव्यध्वनि सवारे, बपोरे, सांजे ने मध्यरात्रे एम दररोज
चार वखत छ–छ घडी सुधी (एटले लगभग अढी कलाक, अने कूल दस कलाक) छूटे छे. ते
उपरांत चक्रवर्ती वगेरे महापुरुषो प्रश्न पूछे त्यारे पण दिव्यध्वनिद्वारा तेनो उत्तर आवे छे.
प्र:– समवसरणमां ज दिव्यध्वनि नीकळ
के समवसरण वगर पण ते नीकळी शके?