Atmadharma magazine - Ank 274
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: द्वि. श्रावण : २४९२ आत्मधर्म : ३७ :
महावीरप्रभु पछी थएलो आपणो पूज्य–परिवार
आम तो अनादिकाळथी अनंता तीर्थंकर भगवंतो तेम ज पंचपरमेष्ठी वगेरे चैतन्य–
आराधक सन्तो थया ते बधाय आपणा जैनधर्मनो महान परिवार छे; आपणे पण ए महान
परिवारना छीए–ते आपणुं गौरव छेे. गुरुदेव वारंवार समजावे छे के तुं सिद्धनो नातीलो छो, तुं
सिद्धना परिवारनो छो, तुं तीर्थंकरना कूळनो छो. आपणा आ साचा परिवारनी ओळखाण ते
महान लाभनुं कारण छे. आ अंकमां केटलाक आचार्य–मुनिवरोना नाम आप्या छे, तेओ बधाय
हमणां ताजेतरमां (पंचमकाळमां) थयेला छे. ते उपरांत आ पंचमकाळमां बीजा पण घणांय
वीतरागी संतमुनिवरो थया छे. कुंदकुंदाचार्य जे परिपाटीमां थया ते नंदीसंघनी जुनी प्राकृत
पट्टावलीअनुसार महावीरभगवानथी मांडीने कुंदकुंदआचार्यदेव सुधीनी पेढीमां जे संतो थया तेनी
मंगल यादी अहीं आपी छे–
ि्रत्रलोकपूज्य तीर्थंकर महावीर: आजथी २प६४ वर्ष पहेलां आ भरतभूमिमां अवतर्या, ने
मोक्षमार्गने प्रकाशीत करीने २४९२ वर्ष पहेलां मोक्षपुरीमां पधार्या. ते वखते चोथोकाळ हतो. ने
त्रणवर्ष आठ मास ने पंदर दिवस पछी पंचमकाळ बेठो. चोथाकाळमां जन्मेला अनेक जीवो आ
पंचमकाळमां पण केवळज्ञान पामीने अर्हन्तपणे आ भरतक्षेत्रमां विचरता हता. तेमां
परिपाटीअनुसार गौतम सुधर्म ने जंबुस्वामी ए त्रण केवळज्ञानी ६२ वर्षमां थया, त्यारपछी
भरतक्षेत्रना जीवोमां केवळज्ञान न रह्युं.
महावीर तीर्थंकरना मोक्षगमनपछी (महावीर पछी १६२ वर्ष बाद)
१ गौतमस्वामी...... केवळज्ञान ९ विशाखाचार्य.... दशपूर्वधारक
२ सुधर्मस्वामी..... केवळज्ञान १० प्रौष्ठिल–आचार्य....
३ जंबुस्वामी...... केवळज्ञान ११ क्षत्रिय–आचार्य......
(महावीर पछी ६२ वर्ष बाद) १२ जयसेनाचार्य.........
४ विष्णुमुनि.......... श्रुतकेवळी १३ नागसेनाचार्य.....
प नन्दिमित्रमुनि.... श्रुतकेवळी १४ सिद्धार्थ–आचार्य....
६ अपराजितमुनि...... श्रुतकेवळी १प धृतिसेण–आचार्य......
७ गोवर्धनमुनि....... श्रुतकेवळी १६ विजयआचार्य........
८ भद्रबाहुमुनि..... श्रुतकेवळी १७ बुद्धिलिंगाचार्य.....
(पांच श्रुतकेवळीनो कुल काळ १०० वर्ष) १८ देव–आचार्य.......
१९ धर्मसेनाचार्य
(११ दशपूर्वधारकनो कूल काळ १८३ वर्ष)