Atmadharma magazine - Ank 275
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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युगयुग जुनुं आपणुं पूज्य तिर्थ
ज.....य स....म्मे....द....शि....ख....र
श्रावण सुद सातमे सम्मेदशिखर उपरथी भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष पधार्या.
हालमां सम्मेदशिखर संबंधी दिगंबर जैनोना समस्त अधिकारोनुं रक्षण थाय एवा
संतोषकारक करार बिहारसरकार साथे थया, अने तीर्थसंबंधी अगाउ ऊभी थयेली विकट
परिस्थिति दूर थई, तेथी भारतभरना दिगंबर जैनसमाजमां संतोष अने हर्षनी लागणी
फेलाई गई हती. अने आ लागणी व्यक्त करवा, तथा पोताना महान तीर्थराज प्रत्येनी
अतीव भक्ति व्यक्त करवा देशभरमां सर्वत्र घणा ज हर्षोल्लास सहित “सम्मेदशिखर
दिवस” श्रावण सुद सातमे उजवायो हतो. सर्वत्र ए शाश्वततीर्थना पूजनभक्ति करवामां
आव्या हता; ने आ कार्यना उकेल माटे दि. जैन तीर्थक्षेत्र कमिटीए जे सफळ प्रयत्न कर्या
तथा बिहारना मुख्यप्रधानश्रीए न्यायनी जाळवणी थाय ने दि. जैनोना हक्कनुं संरक्षण
थाय तेवा करार करवामां जे सहकार आप्यो, ते बदल तेओ प्रत्ये सौए आभारनी
लागणी व्यक्त करी हती. सोनगढमां पण ए दिवस खूब उत्साहपूर्वक उजवायो हतो.
सवारमां जिनमंदिरमां तीर्थराजनुं समूहपूजन थयुं; तथा प्रवचन पछी सभामां (जेमां
अनेक गामना जिज्ञासुओ उपस्थित हता तेमां सम्मेदशिखरना करार संबंधी प्रसन्नता
व्यक्त करतो ठराव पसार कर्यो हतो. बपोरे जिनमंदिरमां पू. बेनश्रीबेने सम्मेदशिखरजीनी
जे परमभक्ति करावी त्यारे तो जाणे सम्मेदशिखरनी यात्रा करता होईए एवो हर्षोल्लास
थतो हतो.......सम्मेदशिखर आपणा हृदय साथे जोडायेलुं छे.....युगयुग जुनुं आपणुं आ
परमपूज्य तीर्थ आपणने सिद्धिपंथनी प्रेरणा सदाय आप्या करो.......
जय सम्मेदशिखर।