: भादरवो : २४९२ आत्मधर्म : १ :
वर्ष २३
वार्षिक लवाजम अंक ११
त्रण रूपिया वीर सं. २४९२
भादरवो
वे मुनिवर
(राग: मल्हार)
वे मुनिवर कब मिलि हैं उपकारी....वे मुनिवर
साधु दिगम्बर नगन निरम्बर, संवर भूषणधारी
...... वे मुनिवर ।। १ ।।
कंचन काच बराबर जिनकैं, ज्यों रिपु त्यौं हितकारी
महल मसान मरन अरु जीवन, सम गरिमा अरु गारी
..... वे मुनिवर ।। २ ।।
सम्यग्ज्ञान प्रधान पवन बल, तप पावक परजारी ।।
सेवत जीव सुवर्ण सदा जे, काय–कारिमा टारी
..... वे मुनिवर ।। ३ ।।
जोरि जुगल कर ‘भधूर’ विनवे, तिन पद ढोक हमारी ।।
भाग उदय दरशन जब पाऊं, ता दिनकी बलिहारी
..... वे मुनिवर ।। ४ ।।