Atmadharma magazine - Ank 275
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: भादरवो : २४९२ आत्मधर्म : १ :
वर्ष २३
वार्षिक लवाजम अंक ११
त्रण रूपिया वीर सं. २४९२
भादरवो
वे मुनिवर
(राग: मल्हार)
वे मुनिवर कब मिलि हैं उपकारी....वे मुनिवर
साधु दिगम्बर नगन निरम्बर, संवर भूषणधारी
...... वे मुनिवर ।।।।
कंचन काच बराबर जिनकैं, ज्यों रिपु त्यौं हितकारी
महल मसान मरन अरु जीवन, सम गरिमा अरु गारी
..... वे मुनिवर ।।।।
सम्यग्ज्ञान प्रधान पवन बल, तप पावक परजारी ।।
सेवत जीव सुवर्ण सदा जे, काय–कारिमा टारी
..... वे मुनिवर ।।।।
जोरि जुगल कर ‘भधूर’ विनवे, तिन पद ढोक हमारी ।।
भाग उदय दरशन जब पाऊं, ता दिनकी बलिहारी
..... वे मुनिवर ।।।।