नीकळी हती, जे घणी आनंदकारी हती.
देखातो हतो; शिक्षणवर्ग दरमियान गुरुदेवनी छायामां वीस दिवस सुधी जे एकधारो
भरचक लाभ लीधो ते माटेनी उपकारनी लागणी सौ व्यक्त करता हता. सवारे केटलाय
भाईओए गदगदभावे लागणीओ व्यक्त करी, ने बपोरे सामुहिक स्तुति सहित
गुरुदेवनो आभार मानीने शिक्षणवर्ग समाप्त थयो.
दशलक्षणीपर्व नजीक आव्या...तेनुं उमंगभर्युं स्वागत करीने आत्माने आराधनामां
जोडवा सौ तत्पर बन्या....
ईंदोरनां श्री बंसीधरजी पंडीत (जेओ अत्यारना बधा दिगंबर जैनपंडितोमां अग्रगण्य
छे) तेओ छेल्ला त्रणेक मासथी सोनगढ रहीने दरेक कार्यक्रमोमां उत्साहथी भाग लई
रह्या छे, तेमणे पण शिक्षणवर्गनी पूर्णता प्रसंगे गद्गदभावथी पू. कानजीस्वामीनो
महिमा प्रसिद्ध करीने पोतानी लागणीओ व्यक्त करी हती.
थईने, पालेजनो (मागसर सुद ४ थी ११) आठ दिवसनो कार्यक्रम विचारवामां
आव्यो छे. बीजा पण अनेक गामो तरफथी विनति आवेल छे. कार्यक्रम नक्की थशे ते
अनुसार योग्य समये आत्मधर्ममां प्रसिद्ध थशे.