Atmadharma magazine - Ank 275
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ३६ : आत्मधर्म : भादरवो : २४९२
* रायपुरथी नं. १३१७ बकुलेश जैन लखे छे–“जन्मदिवसना उपलक्षमां अभिनंदनकार्ड
तथा फोटो मळ्‌या. अत्यार सुधीमां आ पहेलो ज जन्मदिवस छे के जे धर्मनी शरूआत करीने आव्यो
छे. साचे ज धर्म एक महान शक्ति छे. आत्मा एकलो ज छे, एकलो ज रहेशे ने एकलो ज मोक्षमां
जशे. आवी भावनापूर्वक एकत्वनी कविता स्फूरी ते पण बकुलभाईए लखी छे, जे अहीं आपी छे :–
एकलो जा....एकलो जा.....एकलो जा....ने रेेे....
पर तत्त्व नथी संग तारी, एकलो जा....ने रे....
शुद्ध तत्त्वभाव पामीने तुं ज्ञानी बनी जा....ने रे....
ज्ञान चारित्रने अपनावीने तुं एकलो जा....ने रे....
निज स्वरूपनो आश्रय करीने मोक्षमार्गे चाल्यो जा....ने रे....
कहान जेवा गुरु बताववा आव्या तने मोक्षमार्ग ज्यारे....
राग विकल्प के विचार शानो, पेले पार जतो रहे...ने....
एकलो जा...अंतरमां मोक्षमार्गे चाल्यो जाने...रे....
* वींछीयाथी लाभुबेन (नं ७१९) लखे छे के जन्मदिवसे पू. गुरुदेवने भारतना
भूतपूर्व वडाप्रधान अभिनंदग्रंथ अर्पण करी रह्या छे ते फोटो मळतां आनंद थयो ने त्यारथी
अभिनंदनग्रंथ वांचवानुं शरू कर्युं; तथा रक्षाबंधनना रूा. पांच आवेला ते जन्मदिवसनी खुशालीमां
बालविभागने भेट मोकलुं छुं.
प्रश्न :– जीवमां अनंत गुणो छे, तेमांथी कयाक््या गुणोनी पर्याय अशुद्ध थई छे के
जेने कारणे जीव संसारभ्रमण करे छे? ने हवे ते गुणोनी पर्याय शुद्ध करवाथी शिवपुरीने
पामे? (नं. १२६१ सुरेन्द्रनगर)
उत्तर :– जीवमां अनंतगुणो छे ते बधायनुं वर्णन शब्दोमां आवी न शके; पण
मोक्षमार्ग साधवा माटे प्रयोजनरूप गुणोनुं वर्णन आचार्य भगवंतोए कर्युं छे. तेमां खास
करीने श्रद्धा–ज्ञान–चारित्रनी ऊंधी पर्याय एटले के मिथ्याश्रद्धा, मिथ्याज्ञान ने मिथ्याचारित्र
ते संसारनुं कारण छे; ने ते गुणोनी शुद्धपर्याय एटले के सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र ते मोक्षनुं
कारण छे, तेना वडे जीव शिवपुरीने पामे छे. सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रनी पर्याय शुद्ध थतां
साथेना बीजा गुणोमां पण शुद्धता थाय छे. जेम के सुखगुणनी पर्यायमां दुःख टळीने
अतीन्द्रियसुख प्रगटे छे.
प्र :– अवधि अने मन: पर्ययज्ञानवाळा जीवो कर्मने जोई शके? (नं. २०६ गोंडल)
उ :– हा, ते प्रकारनुं विशेष निर्मळ ज्ञान होय तो जोई शके.
उपरोक्त प्रश्नकार भाई लखे छे– ‘गया महिने मारा बे प्रश्नोनो जवाब न
आववाथी हुं बहु हताश थयो छुं.’
भैया! जवाब जरा विलंबथी आवे तेमां हताश थवानुं शुं होय! तमे कूल ४ प्रश्नो
पूछया; हवे आपणा १प०० सभ्यो दरेक तमारी जेम चार प्रश्नो पूछे तो केटला प्रश्नो थाय?
छ हजार! ने दर महिने एकसो प्रश्नोना जवाब आपीए तोय केटलो टाईम थाय! पांच वर्ष! –एने
बदले तमारा प्रश्नना जवाब तो बे महिनामां ज आवी गया. भाई, तमे बालविभागना सभ्यो