: आसो : २४९२ आत्म धर्म : १ :
वार्षिक वीर सं. २४९२
लवाजम आसो
त्रण रूपिया डिसेम्बर मास
* वर्ष: २३ अंक १२ *
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धर्मनी आराधनानुं पर्व
(उत्तम क्षमादि दश धर्मनुं स्वरूप)
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(पर्युषण वखतना दश धर्म उपरना
प्रवचनोमांथी दोहन वीर सं. २४९२)
(हे भव्य! आ धर्मोने तुं परमभक्तिथी जाण.)
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आजथी दशलक्षणधर्म (पर्युषण पर्व) शरू थाय छे. आ
शाश्वत पर्व छे; तेमां आजे पहेलो उत्तमक्षमाधर्मनो दिवस छे.
आ क्षमादि उत्तम धर्मो ए सम्यग्दर्शनपूर्वकनी चारित्रदशा छे,
मुनिने आ धर्मो होय छे. तेथी अहीं कार्तिकेयानुप्रेक्षामां कहे छे
के जे रत्नत्रययुक्त छे, निरंतर क्षमादि भावरूप परिणम्या छे
अने सर्वत्र मध्यस्थ छे एवा साधु ते पोते धर्म छे. मुनिधर्म
उत्तमक्षमादि दश प्रकारनो कह्यो छे. अहीं कार्तिकेयानुप्रेक्षामांथी
दश धर्मो वंचाय छे. आचार्यदेव कहे छे के अहो, आ वीतरागी
धर्मनुं स्वरूप परमभक्तिथी अने उत्तम धर्मप्रत्येना प्रेमथी
जाणवा योग्य छे, आदरपूर्वक तेनी उपासना करवा जेवी छे.