: २० : आत्मधर्म : कारतक : २४९३
झीलीने अनुभव करे त्यारे श्रीगुरुनी सेवा करी कहेवाय, अने श्रीगुरुनी सेवाथी मुक्ति
पाम्यो–एम निमित्तथी कहेवाय.
समयसारनी चोथी गाथामां कहे छे के विभावनी कथा जीवोए पूर्वे अनंतवार
अनुभवी छे, तेनो परिचय कर्यो छे ने तेनुं श्रवण कर्युं छे, पण परथी भिन्न पोताना
एकत्वस्वभावनी कथा पोते कदी जाणी नथी, अनुभवी नथी तथा बीजा आत्मज्ञ–सन्तोनी
सेवा करी नथी. पोते जाण्युं नथी ने जाणनारानी सेवा करी नथी, –एम बंने वात बतावी.
एटले ज्ञानीना उपदेशअनुसार पोते पोताना आत्माने जाणीने पोते निश्चयगुरु थयो, त्यारे
बीजा ज्ञानी गुरुए तेने आत्मा समजाव्यो–एवो व्यवहार थयो. पण जो पोते जागीने
आत्माने न जाणे तो गुरुनी संगतिनुं फळ शुं? गुरु एने शुं करे? –एने खरेखर गुरुनो
संग कर्यो नथी.
कोईवार बहारथी सेवा करवानो प्रसंग आव्यो, पण ते वखते य ज्ञानीना अंतरना
आशयने पोते समज्यो नहि तेथी सम्यक्त्वादि पाम्यो नहि, ने तेथी ज्ञानीनी खरेखर
उपासना तेणे करी–एम पण कहेवामां आव्युं नहि. पोते पोतामां अंतर्मुख थईने ज्ञान
पाम्यो त्यारे ज्ञानीनी खरी उपासना करी एम कह्युं. एटले स्व–आत्मानी सेवा (श्रद्धा–
ज्ञान–अनुचरण) वडे पोते पोतानो परमार्थगुरु ज्यारे थयो त्यारे व्यवहारमां बीजा ज्ञानी
गुरुनी सेवा साची करी एम कहेवायुं. अरे जीव! तने ज्ञानीनी साची सेवा करतांय
अनंतकाळमां न आवडी. एक वार ज्ञानीने ओळखीने साची सेवा करे तो ते जीव पोते जरूर
ज्ञानी थई जाय.
[२४८२ अषाड वद ११ गुरुवार]
निश्चयथी आत्मा ज आत्मानो गुरु छे. सर्वज्ञदेव अने ज्ञानीगुरुओ मळ्या, तेमणे
आत्माना हितनो उपदेश आप्यो, पण जो जीव पोते ते समजीने आत्मज्ञान न करे तो देव के
गुरु शुं करे? ते पोते स्वत: पोताना स्वसंवेदनथी ज पोताने प्रकाशे छे. जेम आकाशने रहेवा
माटे बीजो कोई आधार नथी, स्वयं पोते पोतामां ज रहेलुं छे, जेम काळने परिणमवा माटे
कोई बीजो आधार नथी, ते स्वयं पोताना स्वभावथी ज परिणमे छे, तेम ज्ञानस्वभावी
आत्मा स्वयं पोताथी ज पोताने जाणे छे. ए रीते जेनो जे स्वभाव छे ते निरालंबी छे.
आत्माने आत्मज्ञाननी प्राप्ति माटे कोई बीजानुं अवलंबन नथी, पोते पोताना अवलंबनथी
ज पोताने जाणे छे. समवसरणमां तीर्थंकर परमात्मा पण सिंहासनथी चार आंगळ ऊंचे
आकाशमां निरालंबीपणे बिराजे छे–
“ऊंचे चतुरांगुल जिन राजे,
ईन्द्रो नरेन्द्रो मुनिराज ध्यावे;
जेवुं निरालंबन आत्मद्रव्य,
तेवो निरालंबन जिनदेह.”
भगवाननो आत्मा तो केवळज्ञान आनंदमय निरालंबी थई गयो छे. ने देह पण
निरालंबनपणे आकाशमां रहे छे; बधा