उ:– आत्माना आनंदनो निर्विकल्प अनुभव ते मोक्षनी सीधी सडक छे.
प्र:– मुनिन्द्रोना चित्तकमळमां कोनो वास छे?
उ:– अत्यंत सौख्यस्वरूप एवुं शुद्ध परमात्मतत्त्व मुनिन्द्रोना चित्तकमळमां वसे छे.
प्र:– ज्ञानीना चित्तकमळमां कोण वसे छे?
उ:– ज्ञानीना ज्ञानकमळमां पण ए परमात्मतत्त्व ज वसे छे. माछलुं के देडकुं अंतरात्मा
उ:– अतीन्द्रिय आनंदना समुद्रो आत्मामां भर्या छे.
प्र:– जगतमां सर्वोत्कृष्ट कळा कई?
उ:– जेना वडे परमात्मतत्त्व जणाय एवी अध्यात्मकळा ए ज सर्वोत्कृष्ट कळा छे.
प्र:– मोक्षनी परीक्षामां पास कोण? नापास कोण?
उ:– जेना वडे परमात्मतत्त्व जणाय एवी भेदज्ञान–विद्या जेने आवडे ते पास; बाकी
उ:– पोताना स्वरूपने साधवानी होंश करवी; बहारना भावोनी होंश न करवी.
प्र:– अज्ञानी पासे जुनामां जुनुं कर्म केटला काळ पहेलानुं होय?
उ:– वधुमां वधु ७ चोवीसी जेटलुं (७० कोडाकोडी सागर) जुनुं कर्म होई शके. एथी
उ:– बधा विकल्पोथी नवरो थाय, ने निर्विकल्प थईने अंदर जाय त्यारे आत्मा जणाय.
उ:– शुद्धात्मतत्त्वना उपदेशनुं श्रवण, तेनो प्रेम, तेनी लगनी ने तेनो अनुभव जीवने