Atmadharma magazine - Ank 277
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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सुखकी सहेली है अकेली उदासीनता
हे गुरुदेव!
ऊंडाऊंडा अंतरमंथनथी आपनी मुद्रा उपर अध्यात्म–चिन्तननी
कोई अनेरी खुमारी देखाई रही छे, आत्मिक स्वाध्याय–मननथी
रसबोळ आपनुं जीवन छे, स्वप्नमां पण साकरना मीठामधुर अद्भुत
ने आश्चर्यकारी जिनबिंब देखीने आप परम प्रसन्नता अनुभवी रह्या
छो, ने अमारा जेवा आत्मार्थी जीवोने सदाय आत्मबोध आपीने
कल्याणमार्गे दोरी रह्या छो...... नुतनवर्षना मंगलप्रभाते
परमभक्तिपूर्वक आपश्रीने अभिवंदन करीए छीए.