Atmadharma magazine - Ank 279
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ८ : आत्मधर्म : पोष : २४९३
ते केम शोभे? अंतरना साचा पुरुषार्थ वडे तेनी प्राप्ति थाय ज.
समवसरणनी शोभा वच्चे तीर्थंकर भगवाने ईन्द्रो अने चक्रवर्तीने आवा
आत्माना सुंदर अनुभवनो उपदेश आप्यो हतो ने अत्यारे पण सीमंधरभगवान आवो
उपदेश विदेहक्षेत्रमां आपी रह्या छे.
ईन्द्र अने चक्रवर्तीने (तथा राज्य अवस्थामां तीर्थंकरने) पहेरवानो एक उत्तम
हार १००८ सेरनो थाय छे–जेनी अद्भुत शोभा होय छे, पण ते धर्मी कहे छे के–ए हार
वडे अमारी शोभा नहि, सर्वज्ञता ने समरसीभावरूप जे चैतन्यहार तेना वडे अमारी
शोभा छे, ते हारमां सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र वगेरे साचा रत्नो गूंथेला छे. अनंती
निर्मळपर्यायनी हारमाळा जेमां गूंथायेली छे एवो आ चैतन्यस्वरूप आत्मा महा
शोभायमान वस्तु छे. तेनी प्राप्तिनो उद्यम कर. तारा अंतरमां ज तने तेनी प्राप्ति थशे.
भाई, देह ते हुं ने राग ते हुं–एवी तारी मान्यता अनंतकाळथी तें सेवी, छतां
तेमांथी तने जराय सुखनी के मोक्षनी प्राप्ति न थई; तो हवे जराक धीरो थई शांत थई,
अमारी वात लक्षमां ले; ने अमे कह्युं ते रीते देहथी ने रागथी अत्यंत भिन्न एवा
आत्माने अंतरमां देखवानो उद्यम कर. तुं जो के एवा अभ्यासथी छ महिनामां तने केवुं
उत्तम फळ आवे छे? तने जरूर आत्मानो अनुभव थशे; स्वानुभवनी प्राप्तिथी तारो
आत्मा शोभी ऊठशे.
अरे, स्वानुभव वगरनो आत्मा केम शोभे? पोताने जडरूपे माने, पोताने
विकाररूपे माने–ए जीव केम शोभे? विकारवडे के जडवडे आत्मानी शोभा न होय; भाई!
ए तो कलंक छे. तारो आत्मा एनाथी भिन्न चैतन्यविलास वडे शोभे छे.
शरीर तारा संयोगमां रह्युं छे पण ते जडपणे रह्युं छे, तारा चेतनरूपे थईने ते
नथी रह्युं; माटे ते तुं नथी. ए ज प्रमाणे क्षणिक राग छे ते रागरूपे रह्यो छे पण तारा
चैतन्यरूपे थयो नथी, माटे ते राग पण तुं नथी. तुं तो चैतन्यस्वरूप ज सदाय छो; आवा
चैतन्यस्वरूपने देहथी भिन्न देख, ने रागथी भिन्न देख;–एने देखतां ज तने परम
आनंदसहित तारुं चैतन्यपद प्रगट अनुभवमां आवशे. एनी लगनी लागवी जोईए,
एनी धून जागवी जोईए...तो अंतर्मुहूर्तमां ज एनी प्राप्ति थई जाय.
अहो, घणाय धर्मात्मा जीवोए अंतरमां आवा आत्मानो अनुभव कर्यो छे;
पोते जाते अनुभव करीने कहे छे के तमे पण जो आत्मानी लगनी लगाडीने, अने
संसारना कोलाहलनो रस छोडीने अंतरमां उद्यम करो तो तमने पण जरूर अमारी
जेम आत्मानो अनुभव थशे.