Atmadharma magazine - Ank 279
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: पोष : २४९३ आत्मधर्म : ११ :
आत्माने फसावतो नथी, पण आत्माना चिदानंद स्वभावनो ज आदर करीने तेमां ज
परिणतिने जोडे छे. आ रीते व्यवहारथी उदासीन थईने शुद्ध चैतन्य स्वभावमां तत्पर
थवुं –तेनी सन्मुख थवुं ते मोक्षनो उपाय छे. चैतन्य स्वभावमां तत्परता ते समाधि छे,
ने चैतन्यने चूकीने रागादि व्यवहारमां तत्परता ते असमाधि छे.
अहो, पहेलां आ वातनो निर्णय करवो जोईए के मने मारा चिदानंद स्वभावनुं
ज शरण छे, रागनुं शरण नथी, चैतन्यस्वभावना ज शरणे सम्यग्दर्शन थाय छे. –आवो
निर्णय करीने चैतन्यसन्मुख थवाथी समाधि थाय छे. सम्यग्दर्शन ते पण समाधि छे. अने
जेने आवो निर्णय नथी ते मिथ्याद्रष्टि जीव द्रव्यलिंगी मुनि थईने नवमी ग्रैवेयक सुधी
जाय तोपण तेने असमाधि ज छे. समाधि कहो के मोक्षनो उपाय कहो, –ते आत्माना
चैतन्यस्वभावना आश्रये ज थाय छे. माटे रागादि व्यवहारनो आदर छोडीने,
शुद्धज्ञायकस्वभावनो ज आदर करवो–एवो संतोनो उपदेश छे. ।। ७८।।
*
हुं शुद्ध ज्ञान ने आनंदस्वरूप छुं, रागादि व्यवहार ते माराथी बाह्य छे–एवुं
अंतरनुं भेदज्ञान करीने जे जीव आत्मस्वरूपमां जागृत छे–तेमां ज सावधान छे ते मुक्ति
पामे छे–एम हवे कहे छे:–
आत्मानमन्तरे द्रष्ट्वा द्रष्ट्वा देहादिकं बहिः।
तयोरन्तरविज्ञानादाभ्यासादच्युतो भवेत् ।।७९।।
आत्माने अंतरमां देखीने, तथा देहादिकने पोताथी बाह्य देखीने, –ए रीते बंनेना
भेदविज्ञानद्वारा अभ्यास करवाथी जीव अच्युत थाय छे एटले के सिद्धपदने पामे छे. अहीं
देहादिक कहेतां राग वगेरे पण तेमां आवी जाय छे, ते रागादिने पण आत्माना
स्वभावथी बाह्य देखवा.
जुओ, भगवान पूज्यपादस्वामी स्पष्ट कहे छे के निश्चयनो आदर अने व्यवहार
प्रत्ये उदासीनता ते मुक्तिनुं कारण छे. ज्ञानी निश्चय अने व्यवहार बंनेने जाणे छे खरा,
पण बंनेने जाणीने निश्चयमां (एटले के शुद्ध आत्मामां) ते तत्पर थाय छे ने व्यवहारमां
(–रागादिमां) ते तत्पर थता नथी पण तेने हेय समजे छे. अने तेथी ते मुक्ति पामे छे.
परंतु जे जीव व्यवहारमां तत्पर थाय छे ते तो मिथ्याद्रष्टिपणे संसारमां ज रखडे छे.
प्रश्न:– व्यवहारमां तत्पर न थवुं–ए साचुं, पण व्यवहार करतां करतां निश्चय
पमाशे ने?
उत्तर:– अरे भाई, व्यवहार करतां करतां निश्चय पमाशे एवी जेनी मान्यता छे ते
जीव व्यवहारमां ज तत्पर छे, केमके जेने लाभनुं कारण माने तेमां तत्पर थया विना रहे
ज नहीं.