Atmadharma magazine - Ank 280
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: २० : आत्मधर्म : माह : २४९३
शिलान्यास प्रसंगे वीस वर्ष पहेलां वींछीया आवेला त्यारे आ जसदणदरबारे पण रूा.
१००१) वींछीया जिनमंदिर माटे अर्पण कर्या हता...आजे तेओ पोताना गाममां
गुरुदेवना प्रवचनादिनो लाभ लई रह्या छे. बपोरे प्रवचन पछी अनेक भक्तो बाजुनुं
गोखलाणा गाम जोवा गया हता...ने त्यां पू. बेनश्री–बेने देव–गुरुनी भक्ति करावी
हती. (गोखलाणा ते पू. श्री शान्ताबेनना वडवाओनुं वतन हतुं.) बीजे दिवसे
सवारना प्रवचन बाद प्रतिष्ठाविधिमां केवळज्ञानादि ६४ ऋद्धिधारी मुनिवरोनुं
पूजनविधान थयुं हतुं. राजकुटुंबना राणी वगेरेए गुरुदेवने आहारदान आप्युं हतुं, ने
ते प्रसंगे गुरुदेवे तेमने पू. बेनश्री–बेन जेवा धर्मात्माओ जसदणमां अत्यारे बिराजे छे
ते संबंधी केटलोक महिमा समजाव्यो हतो. वद सातमे सवारमां गुरुदेवना
आशीर्वादपूर्वक ईन्द्रप्रतिष्ठा तथा पंचपरमेष्ठीपूजन (यागमंडलविधान), जलयात्रा
तथा वेदीशुद्धि वगेरे विधि थई हती. प्रतिष्ठामां ९ ईन्द्र–ईन्द्राणी हता.
पोष वद आठमनी सवारमां जसदणना जिनालयमां देवाधिदेव वर्धमान प्रभुनी
मंगलप्रतिष्ठा उल्लासकारी वातावरण वच्चे गुरुदेवे भक्तिपूर्वक करी; ते उपरांत
भगवान आदिनाथप्रभु तथा जिनवाणीमातानी पण मंगलप्रतिष्ठा करी. वींछीयानुं आ
नानकडुं जिनमंदिर दरबारगढ पासेना चोकमां आवेलुं छे, उपरना भागमां (उमराळा
जेवी देरीमां) भगवंतो बिराजे छे. आ रीते जसदणना जिज्ञासुओनी घणा वर्षनी
भावना पूरी थई. त्यारबाद शांतियज्ञ तथा भगवाननी रथयात्रा नीकळी हती. आ
रीते जसदणमां जिनेन्द्रदेवनी वेदीप्रतिष्ठा करीने बीजे दिवसे सवारमां भगवानना
दर्शन–स्तवन करीने गुरुदेव आंकडिया गामे पधार्या.
– * –
सं. २०१३ ना फागणमां गुरुदेवे तीर्थाधिराज सम्मेदशिखरजीनी यात्रा करावी, अने आजे दश
वर्षे फागण मासमां फरी जेने भेटवा गुरुदेव जई रह्या छे...तेनुं मधुर संभारणुं.