Atmadharma magazine - Ank 280
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : आत्मधर्म : माह : २४९३
तने विश्वास नथी, एनो नमुनो तें कदी जोयो नथी, एने ओळखनारा ज्ञानीनी
ओळखाण तें करी नथी. सम्यग्दर्शन थतां पोताना आत्मानो साक्षात्कार थई जाय, ज्ञान
ने आनंदनो स्वाद आवी जाय; अंदर आत्माना ध्यानमां ज्ञानने एकाग्र करवारूप
प्रज्ञाछीणी छे, प्रज्ञाछीणीवडे आत्मानो आनंद अनुभवाय छे. आत्मानो आनंद बहार
काढीने (प्रगट करीने) सन्तो फरमावे छे के हे जीव! आवो आनंद आत्मामां भर्यो छे.
भेदज्ञानवडे ते प्रगट थाय छे.
भक्तो कहे छे के हे भगवान! अमारा आत्मानी शुद्ध चैतन्यसत्ताने आपे
आपना जेवी ज शुद्ध देखी छे; अमारुं शुद्ध स्वरूप जेवुं आपे देख्युं तेवुं अमे अमारा
ज्ञानमां लईने अमे आपनी भक्ति करीए छीए. –आम शुद्धस्वरूपने पोताना ज्ञानमां
ल्ये त्यारे सम्यग्दर्शन थाय. आत्मा शुं ने राग शुं–ए बंनेनी भिन्नता ओळखीने,
प्रज्ञाछीणीवडे जुदा करवा, एटले के ज्ञानने बंधभावोथी जुदुं करीने ज्ञानस्वरूपमां
एकाग्र करवुं, आवुं भेदज्ञान ते मोक्षनो उपाय छे. एटले प्रज्ञाछीणी ते मोक्षनो उपाय
छे. आ प्रज्ञाछीणी आत्माथी भिन्न बीजी कोई चीज नथी, पण आत्मानो ज निर्मळ
उपयोग छे. आत्माथी बहार बीजुं कोई मोक्षनुं साधन नथी. जेम तीक्ष्ण करवत
लाकडाना बे कटका करी नांखे छे, तेम आत्मा अने राग बंने अनादि अज्ञानथी एकमेक
लागे छे, तेने जुदा ओळखीने प्रज्ञाछीणी आत्माने रागथी जुदो करी नांखे छे. –आनुं
नाम धर्म छे, ने आ मोक्षनुं साधन छे.
आत्मा अने राग वच्चे अज्ञानीने एकता अने कर्ताकर्मपणुं लागे छे, तेने
समजावे छे के भाई, आत्मा अने राग वच्चे तिराड छे, बंने एकमेक थई गया नथी,
बंने वच्चे सूक्ष्म सांध छे; ते सांधमां प्रज्ञाछीणी मारतां बंने भिन्नपणे अनुभवाय छे.
बंने वच्चेनी सांध केवी रीते पकडवी? के लक्षणनी भिन्नता वडे; आत्मानुं लक्षण ज्ञान,
अने रागनुं लक्षण आकुळता –एम बंनेना लक्षण वच्चे आंतरुं छे. –ए अंतरने
(तफावतने) पकडीने ज्ञानने अंतरमां वाळवुं एनुं नाम प्रज्ञाछीणी छे; ते प्रज्ञाने
भगवती कहेवामां आवी छे. आ भगवती प्रज्ञा वडे आत्माने अने रागने जुदा
ओळखीने ज्ञान अंतरमां आत्मस्वभावमां एकाग्र थाय छे ने रागादि परभावोने
बंधरूप जाणीने छोडे छे. –आवुं भेदज्ञान ते मोक्षनो उपाय छे.
जेम अंधारानो जाणनार अंधकारमय नथी, पण अंधकारथी जुदो छे. ‘आ
अंधारुं छे’ एम जाणे छे, पण ‘हुं अंधारुं छुं’ एम नथी जाणतो, हुं तो