Atmadharma magazine - Ank 280
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: माह : २४९३ आत्मधर्म : ३प :
जगाड...तो चैतन्यना ते कणिया पासे आखा जगतनी शोभा तने ऊडी जशे. चैतन्यनी
महत्तानी तुलना जगतमां कोई करी शके नहीं.
शुभरागथी अने तेना फळमां स्वर्गादि मळे तेनाथी अज्ञानी पोताने सुखी माने
छे; पण भाई, चैतन्यना ज्ञान विना बीजे क््यांय सुख नथी; अनुकूळतामांय सुख नथी,
अनुकूळता तरफनी आकुळता ते पण दुःख ज छे. भगवान आत्मा तो आनंदनो
उत्पादक छे, ने शुभाशुभराग ते दुःखनो उत्पादक छे. –आम बंनेनी भिन्नताने ओळख.
पापमां दुःख ने पुण्यमां सुख–ए मान्यता अज्ञानीनी छे; पाप अने पुण्य बंनेनुं बंधन
दुःखकारी छे ने आत्मानो ज्ञानभाव (पाप–पुण्य वगरनो) ते ज सुखकारी छे –एम
ज्ञानी जाणे छे.
मोक्षमार्ग पवित्र–वीतराग छे; ते मोक्षमार्गना आश्रये पुण्य–पाप थता नथी.
पुण्य ने पाप बंने बंधमार्गना ज आश्रये थाय छे. जेटलो बंधमार्ग छे ते बधो दुःखरूप
छे तेथी ते ‘अशुभ’ छे–मलिन छे. (–पुण्य पण ते ‘अशुभ’ मां समाय छे केमके ते पण
बंधमार्ग छे.) अने पुण्य–पाप वगरनो जे मोक्षमार्ग ते शुभ छे–पवित्र छे, तेमां पुण्य
के पाप न आवे. –आ रीते मोक्षमार्ग जुदी चीज छे, ने पुण्य–पापरूप बंधमार्ग जुदी
चीज छे. बंनेनी जात जुदी छे.
तीर्थंकर भगवान जेवा महान आत्मा ज्यां अवतरवाना होय त्यां तेमनी
माताना स्वप्नां पण लोकोत्तर उत्तर फळसूचक होय छे. तीर्थंकर भगवाननी माता ज
१६ मंगल स्वप्नो देखे छे; एवा रत्नने जन्म देनारी माता जगतमां धन्य छे. प्रभो,
आप तो धन्य, ने आपने जन्म देनारी माता पण धन्य! हे माता! तारो तो ते पुत्र छे
पण जगतनो ते तारणहार छे, जगतनो धर्मपिता छे. ईन्द्र पण हजार नेत्रवडे
आश्चर्यथी जेने नीहाळी रहे एवुं तो जेमना देहनुं रूप, एमना आत्माना अचिंत्य
महिमानी शी वात!! –एवा स्वभावथी दरेक आत्मा भरेलो छे. –आवा आत्माने
ओळखवो ते सर्वज्ञ भगवाननी खरी भक्ति छे. भाई, तारा ज्ञानचक्षु खोलीने
आत्माना स्वरूपने देख; तेमां तारा ज्ञाननी सफळता छे.
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