उछामणी लईने) तलोदना भाईश्री कोदरलाल हाथीचंदे करी हती. आ उपरांत बीजा
भगवंतोनी तेम ज जिनवाणी मातानी अने मंदिरना कलश–ध्वजनी उछामणी पण
बीजा भाईओए घणा उत्साहपूर्वक लीधी हती. आम घणा ज उत्साहपूर्वक सौए
प्रतिष्ठामां भाग लीधो हतो. जिनबिंबप्रतिष्ठा पछी जिनमंदिर उपर सवापांच फूट
जेटलो उन्नत सोनेरी कळश तथा ध्वज चढाववामां आव्या...ने कळश–ध्वजथी भव्य
जिनमंदिर खूब ज शोभी ऊठ्युं. आ बधी विधि दरमियान जिनमंदिरना शिखरनी
एकदम नजीक आवीने हेलिकोप्टर–विमान आकाशमांथी पुष्पवृष्टि कर्या ज करतुं हतुं...ने
भक्तो आनंदथी ए पुष्पोने झीलवा प्रयत्न करता हता.
कर्युं. पंडितजीए फरीने पण कह्युं के जो जिनका मत है वोही कानजीका मत है, दिगंबर
जैनधर्मकी आपके द्वारा महान प्रभावना हूई है और हो रही है. त्यारबाद उत्सवनी
पूर्णताना उपलक्षमां भगवान जिनेन्द्रदेवनी भव्य रथयात्रा नीकळी हती, घणा
उल्लासपूर्वक आखी नगरीमां रथयात्रा फरी हती, ने पारसप्रभुना रथना सारथी तरीके
पू. श्री कहानगुरु शोभता हता. रथयात्रानी शोभा जोवा आखुं नगर उमट्युं हतुं. रात्रे
जिनमंदिरमां भक्ति थई हती.
आसपासना घणा मुमुक्षु भाईओनो खूब ज उमंगभर्यो साथ ने सहकार मळ्यो हतो.
देशभरमांथी दशहजार उपरांत भक्तजनोए आवीने उत्सवने शोभाव्यो हतो.
फत्तेपुरना भाईश्री बाबुभाईए पण हरेक प्रकारनी व्यवस्थामां दोरवणी आपीने सौना
उत्साहमां बळ पूर्युं हतुं.
प्रस्थान कर्युं... वच्चे ओमकारनदी आवी. सोनगढ जेम जेम नजीक आवतुं गयुं तेम
तेम शांत हृदयोर्मिओ जागवा लागी....चार वागे सोनगढ आव्या...गुरुदेवे